घरेलू रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने गुरुवार को कहा कि भारत के चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में चालू वित्त वर्ष की तुलना में 50 फीसदी की बढ़ोतरी होगी और यह बढ़कर 20 अरब डॉलर हो जाएगा. रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, "आईसीआरए को उम्मीद है कि तेल और सोने के आयात में बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का चालू खाता घाटा बढ़कर 30 अरब डॉलर (जीडीपी का 1.2 फीसदी) और वित्त वर्ष 2016-17 में बढ़कर 20 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.9 फीसदी) हो सकता है." बहरहाल, वित्त वर्ष 2017-18 में गैर अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) द्वारा बड़े पैमाने पर जमा कराने से चालू खाते के घाटा पर दबाव कम होगा.
आईसीआरए के प्रमुख अर्थशात्री अदिति नायर का कहना है, "हमें उम्मीद है कि कीमतों में बढ़ोतरी और कच्चे तेल और स्वर्ण के आयात की मात्रा में बढ़ोतरी के कारण देश के चालू खाते में घाटा में बढ़ोतरी होगी. जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में देश से माल के निर्यात में 5-6 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. इनमें आंशिक रूप से कमोडिटी का योगदान सबसे अधिक होगा. वित्त वर्ष 2017-18 में धन प्रेषण में महत्वपूर्ण सुधार के लिए वैश्विक रुझान अच्छा नहीं दिख रहा है."
वित्त वर्ष 2013-14 के बाद से कच्चे तेल और सोने के आयात में कमी से भारत के चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिली है. साथ ही व्यापारिक निर्यात में कमी, सेवा व्यापार अधिशेष या बाहर से देश में आने वाले धन में हुई कमी से निपटने में मदद मिली है. नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान यह मदद नहीं मिल पाएगी.
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