घनी काली धुंध ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लोगों के स्वास्थ्य पर असर डालना शुरू कर दिया है. इससे लोगों के कार्य करने की कुशलता भी प्रभावित हो रही है. सोमवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आई.
सर्वेक्षण एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) की एक सामाजिक विकास शाखा ने किया है. इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में कार्य कर रहीं 150 कंपनियों के मानव संसाधन पेशेवरों से बात की गई. इसमें दिल्ली और आसपास के वायु प्रदूषण का कंपनियों के वित्तीय स्वास्थ्य पर प्रभावों को भी देखा गया. यह सर्वेक्षण बीते एक सप्ताह के दौरान किया गया.
चैम्बर के सर्वेक्षण को जारी करते हुए एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, "दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण सिर्फ पर्यावरण को ही नुकसान नहीं कर बल्कि हानिकारक गैसों की मात्रा, धूल, धुएं और गंध से लोगों को सांस लेने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं."
उन्होंने कहा, "कंपनियों को इसस समस्या से निपटने के लिए अपने कर्मचारियों को काम के घंटों में लचीला रुख अपनाना चाहिए." रावत ने कहा, "पर्यावरण और वायु प्रदूषण से जुड़े मुद्दे से ब्रैंड इंडिया को नुकसान पहुंच सकता है. इससे दूसरे क्षेत्र जैसे पर्यटन, बाह्य मनोरंजन के क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि लोग प्रदूषित इलाकों से दूर रहना चाहते हैं."
ज्यादातर मानव संसाधन (एचआर) पेशेवरों ने कहा कि वे कर्मचारियों के बीमार होने की वजह से 5-10 प्रतिशत के बीच कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे हैं. सर्वेक्षण में कहा गया, "बहुत से एचआर प्रतिनिधियों ने कहा कि लगातार खांसी, आंखों में जलन, गले, सांस लेने या फेफड़े से जुड़ी दिक्कतें जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के कारण बहुत से कर्मचारी काम पर नहीं लौट रहे हैं."