पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने नोटबंदी को 2016 का सबसे बड़ा घोटाला करार देते हुए कहा है कि इसके कारण 2016-17 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो कि सीएसओ और आरबीआई के पूर्वानुमानों से कहीं कम है. चिदंबरम ने 2017-18 के बजट को लक्ष्यविहीन और दिशाहीन बताते हुए कहा कि सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए अप्रत्यक्ष करों में तुरंत कटौती करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नोटबंदी की वजह से 2016-17 में जीडीपी वृद्धि पर बुरा असर पड़ा, इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष 2017-18 में भी इसका असर रहेगा और 2018-19 के शुरुआती कुछ हिस्से में भी नोटबंदी का असर रहेगा.
चिदंबरम ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, 'मुझे यह अनुमान लगाते हुए खेद है कि 2016-17 में वृद्धि दर 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रहेगी जो कि पूर्व के अनुमान से ठीक एक प्रतिशत कम है. इसका मतलब है जीडीपी पर 1.5 लाख करोड़ रुपये की चोट. इस साल जीडीपी 150 लाख करोड़ रुपये है, इसमें एक प्रतिशत चोट का मतलब है 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान.' चिंदबरम 21 फरवरी को होने वाले बृहनमुंबई नगर निगम चुनाव के प्रचार अभियान के तहत यहां आए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, 'किसी के दिमाग में विचार आया और उसने टेलीविजन पर नोटबंदी की घोषणा कर दी जिससे (जीडीपी को) 1.5 लाख करोड़ रुपये की चोट लगी.' नोटबंदी की बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि देर-सवेर सरकार को नोटबंदी की 'नादानी' का आभास होगा. चिदंबरम ने नोटबंदी को 2016 का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया, जिसे सरकार स्वीकार नहीं कर रही.
चिदंबरम ने कहा, 'आप पहले नोटबंदी करते हैं और फिर कहते हैं कि हम नए नोट जारी कर रहे हैं, क्या मजाक है?' उन्होंने कहा कि सरकार ने एक झटके में 15.44 लाख करोड़ रुपये की करेंसी को चलन से हटा दिया और अब सरकार वापस इतनी ही करेंसी छाप रही है. (इनपुट भाषा से)