RBI Policy Meeting: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में भले ही लगातार छठी बार कोई बदलाव नहीं किया हो, जिससे होम लोन और कार लोन की EMI पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. लेकिन एक ऐलान छोटे लोन ग्राहकों के लिए जरूर किया है, जिससे लोन लागत को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी.
रिजर्व बैंक ने आज रिटेल लोन को लेकर एक बड़े बदलाव का ऐलान किया. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने बैंकों के लिए सभी रिटेल, MSME लोन के लिए ग्राहकों को KFS देना अनिवार्य कर दिया है. KFS यानी Key Fact Statement. रिजर्व बैंक ने ये फैसला छोटे कर्जदारों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस कदम का ऐलान किया.
दरअसल, अभी बैंकों के लोन में कई तरह के अन्य शुल्क और चार्ज होते हैं, जो कि ब्याज दर के अलावा होते हैं. इन सभी को सालाना ब्याज दर का आंकलन करते समय इसको वास्तविक ब्याज दर में जोड़ दिया जाता है. अब बैंकों को ब्याज दरों के अलावा कोई और चार्ज लगाते हैं तो उन्हें सभी चार्ज को ब्याज दरों में जोड़कर बताना होगा. इससे पहले रिजर्व बैंक ने इसे केवल एक तय वर्ग के कर्जदाताओं के लिए जरूरी किया था
रिजर्व बैंक के इस कदम का मकसद छोटे और रिटेल लोन ग्राहकों के लिए पारदर्शिता लाना है. यानी जब वो लोन लेने जाएं तो उन्हें पता होना चाहिए कि वो वास्तव में कितना पैसा ब्याज के तोर पर दे रहे हैं और कितने अन्य शुल्क हैं.
क्योंकि आमतौर पर बैंक ब्याज दरें तो कम करके ग्राहकों को लुभा लेते हैं, लेकिन दूसरे चार्ज काफी ऊंचे होते हैं. जैसे-प्रोसेसिंग फीस, डॉक्यूमेंटेशन चार्ज वगैरह. इससे वास्तविक तौर पर ग्राहक को ब्याज महंगा पड़ता है. ये ऐलान ब्याज दरों के अलावा लोन देने वाले संस्थानों की ओर से लगाए जाने वाले अन्य चार्जेज के लिए पारदर्शिता उपायों का एक हिस्सा है.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि लोन ग्राहकों को सभी चार्ज और अन्य चार्ज समेत लोन की पूरी लागत के बारे में सूचित करना बैंकों के लिए जरूरी है. रिटेल और MSME लोन के लिए KFS (Key Fact Statement) कस्टमर को वास्तविक सालाना ब्याज दर और लोन से जुड़ी सभी वित्तीय जानकारियां साफ साफ तौर पर देने के लिए बनाया गया है. ताकि लोन लेने वाले ग्राहक को लोन की पूरी जानकारी रहे, ताकि वो बेहतर फैसला लेने में सक्षम हो सके.