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SEBI पर टिप्पणी करना ठीक नहीं, उम्दा काम कर रहे हैं भारतीय रेगुलेटर्स: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा, 'भारतीय रेगुलेटर्स जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे वास्तव में सिस्‍टम में अधिक पारदर्शिता आई है.'
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:51 AM IST, 09 Oct 2024NDTV Profit हिंदी
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वैश्विक स्तर का काम करने और सिस्टम में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए देश के फाइनेंशियल सेक्टर के रेगुलेटर्स की सराहना की. सीतारमण ने कहा कि वो नियामकों पर सवाल उठाने या उनकी आलोचना करने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनके योगदान को भी ध्यान में रखने की जरूरत है.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री ने यहां ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस बेस्ट बैंक अवार्ड्स’ कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान लोगों से SEBI मामले में टिप्पणी करने से पहले तथ्यों पर गौर करने को कहा. बता दें कि SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव को लेकर आरोप लगे हैं. हालांकि, उन्होंने उन आरोपों को आधारहीन करार दिया है.

ये पूछे जाने पर क्या देश में नियामकों के लिए एक निगरानी व्यवस्था की आवश्यकता है या फिर नियामकों में संचालन ढांचा बेहतर है, उन्होंने कहा, 'मैं साफ तौर पर कहूं तो नियामकों के मामले में किसी भी चीज पर चर्चा करने से पहले तथ्यों को ध्यान में रखने की जरूरत है.'

सीतारमण ने कहा, 'बाजार, बैंक और बीमा समेत विभिन्न क्षेत्रों में हुए सुधार के आधार पर विभिन्न देशों के नियामकों की इस पर नजर है. भारतीय नियामक जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे वास्तव में सिस्‍टम में अधिक पारदर्शिता आई है.'

'कल्याणकारी योजनाएं जरूरी, लेकिन...'

मुफ्त में रेवड़ियां बांटने से जुड़े एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए की जाने वाली घोषणाओं का बोझ उठाने के लिए राज्य की वित्तीय क्षमता पर ध्यान देने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में इस तरह का खर्च 80% तक पहुंच रहा है, जबकि विकास की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है. राज्य सरकारों के राजनीतिक वादों पर खर्च संबंधित राज्य की वित्तीय क्षमता पर आधारित होना चाहिए.

सीतारमण ने ये स्पष्ट किया कि वो कल्याणकारी उपायों के खिलाफ नहीं हैं. कहा, 'हम गरीबों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद से इनकार नहीं कर सकते.'

उच्च पदों पर सीधी भर्ती की योजना को वापस लेने पर उन्होंने कहा कि ये कदम ‘गठबंधन की मजबूरियों’ के कारण नहीं बल्कि ‘लैटरल एंट्री’ में और सुधार के लिए था.

'दबाव में काम नहीं कर रही सरकार'

उन्होंने ये भी कहा कि सरकार किसी दबाव में काम नहीं कर रही है. यह जरूर है कि BJP ने लोकसभा चुनाव में कम सीटें जीती हैं, लेकिन सरकार किसी दबाव में नहीं है.

वित्त मंत्री ने कहा कि निर्णय लेने की गति वही बनी हुई है. इस साल जून में मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के बाद से नई कैबिनेट ने 15 लाख करोड़ रुपये की योजनाओं पर निर्णय किया. ये इसका संकेत है.

उन्होंने कहा कि इस बात पर अधिक चर्चा की जरूरत है कि फूड इनफ्लेशन को कोर इनफ्लेशन से बाहर रखने के आर्थिक समीक्षा के विचार के साथ आगे बढ़ना है या नहीं. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स आधारित महंगाई और व्होलसेल प्राइस महंगाई के बीच बहुत कम समानता है.

सीतारमण ने कहा कि मोबाइल फोन के अलावा सेमीकंडक्टर और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे अन्य क्षेत्रों में भी निवेश देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खपत बेहतर हो रही है.

जरूरत से ज्यादा उधार देने से बचें बैंक

सीतारमण ने बैंकों से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा कि वे जरूरत से अधिक उधार देने से बचें. इससे एसेट्स क्वालिटी पर दबाव पड़ सकता है. इसका असर उनके कर्ज देने की क्षमता और लाभ पर भी पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि कि बैंकों का स्वास्थ्य वास्तव में इकोनॉमी और परिवारों की वित्तीय सेहत को निर्धारित करता है.

उन्होंने बैंकों से साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स को नियुक्त करने में तेजी के साथ काम करने को कहा जो किसी भी साइबर हमले को रोकने में ज्यादा कारगर होंगे.

उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि बड़ी संख्या में इंजीनियर शैक्षणिक रूप से योग्य हैं लेकिन इंडस्ट्री की जरूरतों के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं.

वित्त मंत्री ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से योग्य युवाओं को इंटर्नशिप देकर और उन्हें इंडस्ट्री की जरूरतों से अवगत कराकर सरकार के इंटर्नशिप प्रोग्राम में मदद करने की भी अपील की.

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