देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ अगस्त में धीमी रही है. इससे पहले जुलाई में मैन्युफैक्चरिंग PMI का आंकड़ा 58.1 था, जबकि अगस्त में ये थोड़ा गिरकर 57.5 रहा. अगस्त में उत्पादन और बिक्री, जनवरी के बाद से सबसे कम दर से बढ़ी. कंपटीशन के दबाव और महंगाई की चिंताओं का भी कुछ असर दिखा है.
हालांकि सोमवार को जारी 'HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग PMI' औसत से ज्यादा रहा, जो कि मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में मजबूत प्रदर्शन का संकेत देता है. परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के तहत आंकड़े 50 से ऊपर हों तो ये गतिविधियों में विस्तार दिखाता है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट दर्शाता है.
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, HSBC के चीफ इकोनॉमिस्ट (India) प्रांजुल भंडारी ने कहा, 'अगस्त में भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विस्तार जारी रहा, हालांकि इसकी गति थोड़ी धीमी रही. नए टेंडर्स और प्रोडक्शन में मुख्य रुझान देखने को मिला, हालांकि कुछ कारोबारियों ने मंदी के लिए कड़े कंपटीशन को प्रमुख कारण बताया.'
सर्वे के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नए कारोबार में तेजी से बढ़ोतरी हुई, लेकिन विस्तार की गति 7 महीने के निचले स्तर पर आ गई. इसी तरह, नए एक्सपोर्ट ऑर्डर कैलेंडर वर्ष 2024 की शुरुआत के बाद से सबसे कम गति से बढ़े.
कीमतों के मोर्चे पर देखें तो, कमोडिटी उत्पादकों को अगस्त महीने के दौरान कॉस्ट प्रेशर में कमी का लाभ मिला. सर्वे के अनुसार, बिजनेस कॉन्फिडेंस में कमी आई है, जो अप्रैल 2023 के बाद से सबसे कम निचले स्तर पर है.
भंडारी ने कहा, 'कंपटीशन प्रेशर और महंगाई से जुड़ी चिंताओं के कारण अगस्त में वर्ष के लिए बिजनेस आउटलुक में थोड़ी नरमी आई है.'
पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट 7% रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 5% थी. देश की GDP ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में घटकर 6.7% रह गई, जो 15 महीने में सबसे कम है. एग्रीकल्चर और सर्विस सेक्टर में खराब प्रदर्शन के चलते ऐसा हुआ. हालांकि हाई वैल्यू एडेड ग्रोथ ने मजबूत आर्थिक ग्रोथ के संकेत दिए हैं.