देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन (V Anantha Nageswaran) ने कहा है कि देश को विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अगले 10 से 12 वर्षों तक हर साल कम से कम 80 लाख नौकरियां पैदा करनी होंगी. इसके साथ ही GDP में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी भी बढ़ानी होगी.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में 'कोलंबिया इंडिया समिट 2025' के दौरान नागेश्वरन ने ये बातें कहीं. बता दें कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2047 तक 'विकसित भारत का लक्ष्य' निर्धारित किया है.
'कोलंबिया इंडिया समिट 2025' के दौरान नागेश्वरन ने कहा, 'हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाया जाए. लेकिन इसके लिए सिर्फ आंतरिक प्रयास काफी नहीं होंगे, क्योंकि आने वाले 10 से 20 साल का बाहरी माहौल उतना अनुकूल नहीं रहेगा जैसा 1990 से 2020 तक रहा था.'
नागेश्वरन ने कहा कि भारत को चीन की तरह मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बनने के लिए प्रयास करने होंगे. उन्होंने कहा, 'चीन ने COVID के बाद मैन्युफैक्चरिंग में जबरदस्त बढ़त बनाई है. भारत को भी GDP में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी. इसके साथ ही छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) को भी मजबूत करना जरूरी है, क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग और MSME एक-दूसरे के पूरक हैं.'
उन्होंने ये भी कहा कि भारत को विकास की उस राह पर चलना है, जिस पर विकसित देश पहले नहीं चले. वे बोले, 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी तकनीकें अब एंट्री-लेवल या IT सेवाओं से जुड़ी नौकरियों को खतरे में डाल रही हैं. हमें तकनीक और लेबर पॉलिसी के बीच सही संतुलन बनाना होगा.'
2047 तक विकसित बनने की दिशा में भारत को ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनाना भी जरूरी है. नागेश्वरन के मुताबिक, 'दुनिया के जिन देशों ने मैन्युफैक्चरिंग में तरक्की की है, उन्होंने मजबूत MSME सेक्टर खड़ा किया है. भारत को भी यही करना होगा.'
नागेश्वरन ने कहा कि अब भारत को GDP ग्रोथ के लिए निर्यात और वैश्विक पूंजी प्रवाह पर पहले जैसा भरोसा नहीं कर सकता. वे बोले, '2003 से 2008 तक भारत की GDP ग्रोथ में एक्सपोर्ट का योगदान 40% था. अगले दशक में ये घटकर 20% हो गया और अब और कम हो सकता है.'
इसके बजाय उन्होंने घरेलू स्तर पर डिरेगुलेशन (नियमन की बाधाएं हटाने) और इनोवेशन पर ध्यान देने की बात कही.
कोविड के बाद के तीन वर्षों में भारत की औसत विकास दर 8% रही है, लेकिन नागेश्वरन ने आगाह किया कि इसे बनाए रखना मुश्किल होगा.
उन्होंने कहा, 'अगर हम अगले एक-डेढ़ दशक तक 6.5% की स्थाई विकास दर बनाए रख सकें और कुछ समय के लिए 7% पार भी जा सकें, तो यही सबसे व्यावहारिक रास्ता होगा.'
उन्होंने कहा, 'वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के पास मौके हैं.' उन्होंने ये भी जोड़ा कि दुनिया में चल रहे जियो-पॉलिटिकल टेंशन और व्यापारिक अनिश्चितता के बीच भारत को अपनी नीतियों से मजबूती हासिल करनी होगी. डिरेगुलेशन जैसी प्राथमिकताओं पर हमारा जोर हमें इस कठिन समय में भी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिला सकता है.
कुल मिलाकर उनका यही कहना है कि 2047 तक विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम हर साल लाखों नौकरियां पैदा करें, मैन्युफैक्चरिंग और MSME को बढ़ावा दें, तकनीक से संतुलन बनाएं और वैश्विक चुनौतियों के बीच अपने घरेलू नीतिगत फैसलों से रास्ता निकालें.