भारतीय इकोनॉमी को चीन से आगे निकलने के लिए हर वर्ष 8% ग्राेथ की जरूरत है. बार्कलेज (Barclays Plc) का कहना है कि चीन, ग्लोबल इकोनॉमी में बड़ा हिस्सेदार है. ऐसे में उसे पीछे छोड़ने के लिए भारत को बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत है. खास तौर पर परंपरागत सेक्टर्स में.
बार्कलेज का बयान तब आया है, जब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने आज ही ग्रोथ अनुमान जारी किया है. IMF ने भारत के लिए FY24 के ग्रोथ अनुमान को 6.1% से बढ़ाकर 6.3% कर दिया है, जबकि FY25 के लिए इसे 6.3% पर बरकरार रखा है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, बार्कलेज के सीनियर इकोनॉमिस्ट राहुल बाजोरिया ने कहा, 'भारत को माइनिंग, ट्रांसपोर्ट, यूटिलिटीज, लॉजिस्टिक जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए फोकस करना चाहिए. इन सेक्टर्स में निवेश से इकोनॉमी पर ज्यादा मजबूत प्रभाव पड़ेगा.'
उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में टेलीकॉम और डिजिटल सेक्टर जैसी नई इंडस्ट्रीज पर ज्यादा अहमियत दी जा रही है और ऐसे में परंपरागत सेक्टर्स में निवेश कम हो गया है. पारंपरिक सेक्टर्स में क्षमता की कमी का मतलब है कि अब इन सेक्टर्स में ज्यादा निवेश की जरूरत है, खासकर सरकार की ओर से.
राहुल बाजोरिया ने कहा, पारंपरिक क्षेत्रों में ज्यादा निवेश का 'रोजगार और घरेलू आय' पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ना चाहिए, और इससे पॉलिसी मेकर्स को इकॉनमिक ग्रोथ के लिए बेहतर पॉलिसी बनाने में मदद मिल सकती है.
2005-2010 में देश की इकोनॉमी औसतन लगभग 8% बढ़ी और अगर नई सरकार व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए ऐसा करने का लक्ष्य रखती है, तो अगले साल के आम चुनावों के बाद ये उसी रफ्तार पर लौट सकती है, जैसा कि बार्कलेज को उम्मीद है. बार्कलेज ने पिछले महीने एक अलग रिपोर्ट में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ का अनुमान लगाया था.
बार्कलेज ने IMF के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2028 तक पांच साल की अवधि में ग्लोबल GDP में चीन का अनुमानित योगदान करीब 26% है. इस अवधि में 6.1% की GDP ग्रोथ रेट के आधार पर भारत का योगदान अनुमानित योगदान 16% है. यानी चीन से 10% कम.
बार्कलेज के अनुसार, भारतीय इकोनॉमी की रफ्तार अच्छी रही तो भारत ग्लोबल ग्रोथ में सबसे बड़ा कंट्रिब्यूटर बनने और चीन के साथ अपने अंतर को कम करने की स्थिति में होगा. अगर भारत 8% की ग्रोथ रेट से बढ़ता है तो ग्लोबल इकोनॉमी में इसका योगदान चीन के करीब पहुंच जाएगा.
केंद्र सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है. मौजूदा वित्त वर्ष में मार्च 2024 तक रिकॉर्ड 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को अनुमानित 3.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करने की कोशिश कर रहे हैं.
बार्कलेज का कहना है कि सरकार के कैपिटल इन्वेस्टमेंट की मजबूत गति को बनाए रखने की संभावना नहीं है, जिसका मतलब है कि प्राइवेट सेक्टर को जरूरी कदम उठाने होंगे. सोमवार को एक रिपोर्ट में गोल्डमैन सैक्स ग्रुप (Goldman Sachs Group) के कमेंट से ये बात पता चलती है.