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7 साल में अपर मिडिल इनकम वाला देश बन जाएगा भारत, क्‍यों है इंडियन इकोनॉमी पर इतना भरोसा?

CRISIL Report: भारत फिलहाल 3.6 लाख करोड़ डॉलर की GDP के साथ दुनिया की 5वीं बड़ी इकोनॉमी है. जापान, जर्मनी, चीन और अमेरिका हमसे आगे है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी11:08 AM IST, 08 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
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इंडियन इकोनॉमी (Indian Economy) तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है. अगले 7 साल में देश की इकोनॉमी डबल होकर 7 ट्रिलियन डॉलर की वैल्‍यू पार कर जाएगी और भारत, अपर मिडिल इनकम वाला देश (Upper Middle Income Country) बन जाएगा. फिलहाल भारत लोअर मिडिल इनकम वाला देश है.

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में ये अनुमान जताया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष देश की GDP 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है.

क्रिसिल ने अपनी 'इंडिया आउटलुक' रिपोर्ट में कहा कि अगले 7 वर्ष में इंडियन इकोनॉमी 5 लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा पार कर 7 लाख करोड़ डॉलर के करीब पहुंच जाएगी और 2031 तक भारत तीसरी बड़ी इकोनॉमी बन सकती है.

आगे और कम होगी महंगाई

रिपोर्ट, देश की आर्थिक प्रगति का समर्थन करने में घरेलू स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स और साइकलिकल फैक्टर्स की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है. क्रिसिल का कहना है कि देश में महंगाई कम हो रही है. कृषि उत्पादन, खाद्य महंगाई पर नियंत्रण और तेल की कीमतों में नरमी से वित्त वर्ष 2025 में भी महंगाई में गिरावट जारी रहेगी.

इतनी बढ़ जाएगी प्रति व्‍यक्ति आय

भारत फिलहाल 3.6 लाख करोड़ डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ दुनिया की पांचवीं बड़ी इकोनॉमी है. जापान, जर्मनी, चीन और अमेरिका हमसे आगे है. क्रिसिल ने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2031 तक देश की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 4,500 डॉलर तक पहुंच जाएगी और भारत अपर मिडिल इनकम वाला देशों के समूह में शामिल हो जाएगा.

भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव दिखता है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को उच्च क्षमता उपयोग, ग्लोबल सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन के अवसरों, बुनियादी ढांचे के निवेश, हरित-ट्रांजिशन अनिवार्यता और मजबूत लोनदाता बैलेंस शीट से लाभ होगा.
अमीश मेहता, MD और CEO, क्रिसिल

चुनौतियां तो हैं पर चिंता नहीं

हालांकि रिपोर्ट में कुछ चुनौतियों की भी चर्चा है. इनमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन, असमान ग्लोबल रिकवरी से संभावित विकास मंदी, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी व्यवधान जैसी बाधाएं शामिल हैं. इन चुनौतियों के बावजूद इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन जैसे उभरते सेक्‍टर्स तेजी से बढ़ रहे हैं, जो वित्त वर्ष 2023 और 2024 में बढ़ते कैपेक्‍स यानी पूंजीगत व्यय का 16% है.

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