देश में GST को लेकर पिछले कई महीनों से ये चर्चा होती आ रही है कि सरकार मौजूदा टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकती है. अब इस संभावना की पुष्टि की है, एक शीर्ष टैक्स अधिकारी ने.
उनका कहना है कि सरकार, मौजूदा 4 टैक्स स्लैब की बजाय 3 स्लैब पेश कर सकती है. देश की सेल्स टैक्स रिजीम को सरल बनाए जाने पर काम चल रहा है.
देश में अभी 5%, 12%, 18% और 28%, ये चार टैक्स स्लैब मौजूद हैं. इन 4 कैटगरी के तहत निर्धारित वस्तुओं और सेवाओं पर GST लिया जाता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBITC) के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कहा कि GST में ज्यादा कैटेगरी या क्लासिफिकेशन, विवादों को जन्म दे रही हैं और इसका समाधान निकालने की जरूरत है.
अग्रवाल ने कहा कि जुलाई 2017 में कर लागू होने के बाद से GST अनुपालन में सुधार हुआ है और रेवेन्यू ग्रोथ स्थिर हुई है. उन्होंने कहा कि इससे सरकार के लिए सिस्टम को सरल बनाने के लिए दरों की समीक्षा करने की गुंजाइश बनती है.
पिछले कुछ वर्षों में GST राजस्व लगातार बढ़ रहा है और मार्च 2024 तक के वित्त वर्ष में इसमें 11.7% की ग्रोथ हुई है. जून में GST कलेक्शन बढ़कर 1.74 ट्रिलियन रुपये हो गया.
अग्रवाल ने कहा कि सरकार 5%, 12%, 18% और 28% के मौजूदा स्लैब को तीन स्लैब में बदल कर GST स्ट्रक्चर को सरल बनाने का इरादा रखती है. नई दरों से रेवेन्यू कलेक्शन पर कोई निगेटिव असर नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'अगले कुछ महीनों में पूरी हो जाएगी.'
पिछले साल ऑनलाइन गेमिंग पर लगाए गए 28% GST के संदर्भ में अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने अक्टूबर 2023 से कंपनियों से 130 बिलियन रुपये से अधिक की वसूली की है.
मंगलवार को सरकार ने गोल्ड पर कस्टम्स ड्यूटी में कमी का भी ऐलान किया है. इससे रत्न और ज्वैलरी प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही इस सेक्टर में नौकरी के अवसर भी पैदा होंगे.
अग्रवाल ने कहा, 'हाई रेट्स से तस्करी को बढ़ावा मिल रहा है. 2023-24 में विभाग ने 2.9 बिलियन रुपये का करीब 4.8 टन गोल्ड जब्त किया था.'
उन्होंने कहा कि ये टैक्स तब लगाया गया था, जब करेंट डेफिसिट ज्यादा था, लेकिन अब इसे कंट्रोल किया जा सकता है, इसलिए सरकार ने इस सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए टैक्स को कम कर दिया है.