केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को खरी-खरी सुनाने के एक दिन बाद गुरुवार को कहा कि वे ऐसी कंपनियों के खिलाफ नहीं हैं, बशर्ते वे निष्पक्ष और ईमानदार रहें.
ई-कॉमर्स कंपनियों की कार्यशैली को लेकर चिंता जताने के अगले दिन केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'भारत ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि चाहता है कि वे निष्पक्ष और ईमानदार रहें.'
समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, गोयल ने कहा कि ऑनलाइन कारोबार करने वालों को प्रतिस्पर्धा करने का ‘उचित अवसर’ सुनिश्चित करने की जरूरत है.
केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों की बाजार में उथल-पुथल मचाने वाली 'प्रीडेटरी प्राइसिंग' के बारे में चिंता जताई और देश में छोटे खुदरा विक्रेताओं पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की थी.
पीयूष गोयल ने मुंबई में एक कार्यक्रम में कहा, 'इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि हम FDI लाना चाहते हैं, हम टेक्नोलॉजी को बुलाना चाहते हैं, हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं और हम ऑनलाइन के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं.
देश हमेशा यही चाहता है कि ग्राहकों के प्रति निष्पक्ष व्यवहार हो, ईमानदारी बरती जाए, वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति करने वालों के प्रति ईमानदारी हो और साथ ही ये सुनिश्चित हो कि अन्य लोगों को भी ऐसे ऑनलाइन बिजनेस के खिलाफ कंपटीशन का उचित अवसर मिले.पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री
गोयल ने कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में गति और सुविधा जैसे ‘बड़े लाभ’ हैं. गोयल ने स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि ऐसी कंपनियां देश के लोगों की सेवा करें.
पीयूष गोयल ने दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की भारत में एक बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा पर बुधवार को सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था कि अमेरिकी कंपनी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ी सेवा नहीं कर रही है, बल्कि देश में हुए नुकसान की भरपाई कर रही है.
उन्होंने कहा था कि भारत में अमेजन को हुआ भारी घाटा, असल में मार्केट बिगाड़ने वाली बेहद कम कीमतों पर प्रोडक्ट्स की सेलिंग के तौर-तरीके बयां करता है लेकिन ये भारत के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इसका असर करोड़ों छोटे खुदरा विक्रेताओं पर पड़ता है.
उन्होंने कहा था, 'जब अमेजन भारत में एक बिलियन डॉलर के निवेश करने की घोषणा करती है तो हम जश्न मनाते हैं. हम ये भूल जाते हैं कि ये बिलियंस डॉलर भारतीय इकोनॉमी की बड़ी सेवा या निवेश के लिए नहीं आ रहे हैं. कंपनी को उस साल अपने बही-खाते में एक बिलियन डॉलर का घाटा हुआ था और उन्हें उस घाटे की भरपाई करनी थी.'
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'ये घाटा प्रोफेशनल्स को 1,000 करोड़ रुपये के भुगतान की वजह से हुआ था. मुझे नहीं पता कि ये प्रोफेशनल्स कौन हैं. मुझे ये जानना अच्छा लगेगा कि कौन से चार्टर्ड अकाउंटेंट, पेशेवर या वकील 1,000 करोड़ रुपये पाते हैं, जबतक कि आप उन्हें रोकने के लिए सभी बड़े वकीलों को भुगतान नहीं करते हैं ताकि कोई भी आपके खिलाफ मुकदमा न लड़ सके.'
उन्होंने आश्चर्य जताया था कि एक साल में 6,000 करोड़ रुपये का घाटा होने से क्या प्रीडेटरी प्राइसिंग (कीमतों को जानबूझकर कम रखना) के संकेत नहीं मिल रहे हैं. ये सिर्फ एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है और उन कंपनियों को सीधे ग्राहकों को बेचने (B2C) की अनुमति नहीं होती है.
गुरुवार को केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ऑनलाइन फर्मों को प्रोत्साहित करना चाहती है और ऐसी संस्थाओं के पक्ष में भी है, जिनके पास स्पीड और सर्विसेज जैसे जबरदस्त विकल्प हैं. बाद में, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि
व्यापार को देश के कानून के अनुसार होना चाहिए.
कंज्यूमर्स की पसंद को मजबूर करने के लिए एल्गोरिदम का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
इन साइट्स पर दी जाने वाली रेटिंग ईमानदार होनी चाहिए.
बाहरी ई-कॉमर्स कंपनियां FDI नीति का ईमानदारी से पालन करें.
कंपनी का नाम लिए बिना गोयल ने कहा कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने रेटिंग में हेरफेर करने के लिए कुछ संगठनों की आलोचना की है. उन्होंने कहा, 'सरकार चाहती है कि ई-कॉमर्स पर FDI नीति (जो मार्केटप्लेस मॉडल में B2C की अनुमति देती है) का सभी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों को ईमानदारी से पालन करना चाहिए और देश के कानून का भी.
पीयूष गोयल ने कहा, 'हम ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारे कंज्यूमर्स को ऑप्शंस मिलें, बिजनेस की कार्यशैली ईमानदार हो और देश के कानून के अनुसार हो.' इस बीच उन्होंने ये भी कहा कि सरकार जल्द ई-कॉमर्स पॉलिसी ला सकती है. उन्होंने कहा कि हमें जल्द ही नई ई-कॉमर्स पॉलिसी लाने की उम्मीद है.
उन्होंने ये भी कहा कि प्रत्येक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत के लिए निष्पक्ष, न्यायसंगत और संतुलित लाभ के पैमाने पर आधारित होगा.
देश ये सुनिश्चित करेगा कि कोई भी FTA हमारे किसानों, पशुपालन, डेयरी, मछुआरों, MSMEs और घरेलू विनिर्माण के हितों की रक्षा करे और इसे इस तरह से तैयार किया जाए जो देश के सर्वोत्तम हित में हो और हमारे समकक्षों को समान अवसर भी प्रदान करे.पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री
गोयल ने कहा, 'हम जल्दबाजी में समझौते नहीं करते हैं और भारत के हितों के आधार पर उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है.'