देश में आर्थिक सुस्ती अब बीते दिनों की बात हो गई है. मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ी है. केंद्रीय बैंक RBI ने बुधवार को जारी अपने बुलेटिन में कहा कि फेस्टिव सीजन के दौरान लोगों के जमकर खरीदारी और खर्च करने से निजी खपत (Private consumption) ने घरेलू मांग (Domestic Demand) को गति दी है और मिड टर्म आउटलुक मजबूत बना हुआ है.
नवंबर माह के बुलेटिन में प्रकाशित 'State of The Economy' पर एक लेख में ये भी कहा गया है कि चुनौतियों और बढ़ते संरक्षणवाद (Protectionism) के बीच 2024 की चौथी तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं.
देश में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो कुछ सुस्ती देखी गयी थी, वो अब पीछे छूट गई है. इसका कारण ये है कि निजी खपत, घरेलू मांग को गति दे रही है और त्योहारों के दौरान खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधियों को बढ़ाया है.स्टेट ऑफ द इकोनॉमी
RBI अधिकारियों के इस लेख में कहा गया है कि मध्यम अवधि का आउलटलुक, तेजी की संभावना दिखाता है, क्योंकि आर्थिक गतिविधियों में पॉजिटिव संकेत हैं. RBI के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने ये लेख तैयार किया है.
बुलेटिन में कहा गया है कि फूड प्राइसेज में तेजी के चलते CPI की अक्टूबर माह की रीडिंग में उछाल आया है और कोर इनफ्लेशन में बढ़ोतरी रिजर्व बैंक के लिए नई चिंता के रूप में उभर रही है.
RBI खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के प्रभाव को लेकर चिंतित है, खासकर फूड ऑयल की कीमतों में उछाल के बाद, प्रोसेस्ड फूड की कीमतों के संबंध में महंगाई बढ़ने लगी है.
केंद्रीय बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है. इसका कारण त्योहार से जुड़ी खपत और कृषि क्षेत्र में सुधार है. खरीफ फसल के रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान के साथ-साथ रबी फसल को लेकर बेहतर संभावनाएं आने वाले समय में कृषि आय और ग्रामीण मांग के लिए अच्छा संकेत हैं.
आगे बताया गया है कि औद्योगिक मोर्चे पर, मैन्युफैक्चरिंग और प्रॉडक्शन में गतिशीलता बरकरार रहने की उम्मीद है. EV पर जोर देने, अनुकूल नीतियां, सब्सिडी और बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर देश को सस्टेनेबल ऑटो सेक्टर में अग्रणी बना रहा है. साथ ही उभरते क्लीन एनर्जी सेक्टर्स में जाॅब क्रिएशन को बढ़ावा दे रहा है.'
लेखकों के अनुसार, भारत के सर्विस सेक्टर क्षेत्र में विकास की गति के साथ मजबूत जाॅब क्रिएशन और उच्च उपभोक्ता और कारोबारी भरोसा बने रखने की उम्मीद है. इसमें कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता (Global Uncertainty) और उतार-चढ़ाव वाले विदेशी पोर्टफोलियो निवेश से बॉन्ड और शेयर बाजारों पर दबाव के बावजूद, वित्तीय स्थितियां अनुकूल रहने की संभावना है. कंपनियों के बॉन्ड जारी करने और FDI प्रवाह से ये पता चलता है.
कॉरपोरेट आय में कमी के कारण जुलाई-सितंबर, 2024 के दौरान तिमाही आधार पर कम निवेश से ये पता चलता है कि निजी निवेश कमजोर बना हुआ है. RBI ने स्पष्ट कहा है कि बुलेटिन में प्रकाशित लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और उससे केंद्रीय बैंक का सीधा जुड़ाव नहीं है.