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RBI Monetary Policy: बैंकों के घटते रिटेल डिपॉजिट पर RBI ने फिर जताई चिंता, कहा- बैंकों के सामने मुश्किल खड़ी हो जाएगी

RBI गवर्नर ने कहा है कि बैंकों को अपनी शाखाओं का फायदा उठाना चाहिए और क्रेडिट ग्रोथ को बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट को बैंक में लेकर आना चाहिए.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी02:20 PM IST, 08 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि घरेलू बचत का पैसा यानी रिटेल पैसा बैंकों में नहीं जाकर दूसरे वैकल्पिक निवेशों की तरफ जा रहा है, दास ने कहा कि ये भारत के बैंकों के लिए एक ढांचागत मुश्किल पैदा कर सकता है. इसलिए बैंकों को अपने विशाल ब्रांच नेटवर्क का फायदा उठाना चाहिए और नए नए इनोवेटिव प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के जरिए डिपॉजिट को जुटाना चाहिए.

RBI की घटते डिपॉजिट पर क्या चिंता है?

दास ने कहा कि लोन की बढ़ती डिमांड को पूरा करने के लिए बैंक शॉर्ट टर्म नॉन रिटेल डिपॉजिट और देनदारी के दूसरे साधनों का ज्यादा सहारा ले रहे हैं, ये बैंकिंग सिस्टम के सामने स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी की समस्या खड़ी कर सकता है.

रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंकों को इस स्थिति से निपटने के लिए पहले भी सलाह दी है, दास ने गुरुवार की मॉनिटरी पॉलिसी के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ऐसा नहीं है कि सारा का सारा पैसा F&O में जा रहा है, इस मुद्दे पर रेगुलेटर्स की Early Warning Group में भी चर्चा हुई है.

उन्होंने कहा कि मैं ये नहीं कह रहा हूं कि लोगों को इक्विटी मार्केट्स में नहीं जाना चाहिए और अपना पैसा केवल बैंकों के डिपॉजिट में ही रखना चाहिए. मैं सिर्फ बैंकों के अंदर संभावित लिक्विडिटी के खतरे को लेकर आगाह कर रहा हूं.

बैंकों को अपनी शाखाओं का फायदा उठाना चाहिए और क्रेडिट ग्रोथ को बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट को बैंक में लेकर आना चाहिए.

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