4 जून से 6 जून तक चली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग के बाद केंद्रीय बैंक RBI ने ब्याज दरों पर बड़ा ऐलान किया है. केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करते हुए इसे 6% से 5.5% कर दिया है.
नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में रेट कट की हैट्रिक लगी है और फरवरी से जून के बीच हुई तीन मीटिंग में पूरे 1% का रेट कट किया गया है.
फरवरी 2025 से पहले दिसंबर 2024 तक लगातार 11 बार ब्याज दरों पर पॉज रखा गया था. फरवरी में उनकी अगुवाई में हुई पहली मीटिंग में रेपो रेट को 6.50% से घटाकर 6.25% किया गया था. और फिर अप्रैल में हुई दूसरी मीटिंग में रेपो रेट को 6.25% से घटाकर 6% किया गया.और अब जून की तीसरी मीटिंग में इसे घटाकर 5.5% कर दिया गया.
गोल्ड लोन से जुड़े सवाल पर गवर्नर संंजय मल्होत्रा ने कहा,
गोल्ड लोन से जुड़े नियम अभी केवल ड्राफ्ट थे, फाइनल नहीं.
ड्राफ्ट गोल्ड लोन नियमों में कुछ नया नहीं था.
नए गोल्ड लोन नियम सलाह-मशविरा और पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन के बाद लाए जाएंगे.
कुछ रेगुलेटेड संस्थाएं गोल्ड लोन के नियमों का पालन नहीं कर रही थीं.
फाइनल गोल्ड लोन गाइडलाइंस आज या सोमवार तक जारी कर दी जाएंगी.
गोल्ड लोन के लिए सिर्फ मालिकाना हक की घोषणा ही काफी होगी.
2.5 लाख रुपये तक के गोल्ड लोन के लिए क्रेडिट अप्रेजल की जरूरत नहीं होगी.
छोटे लोन के लिए लोन-टू-वैल्यू रेशियो 85% रहेगा.
NBFC और छोटे बैंक सोने की कीमत के 88% तक लोन दे रहे थे.
नए गोल्ड लोन नियम इन लोन को ज्यादा सुरक्षित बनाएंगे.
फाइनल नियमों से गोल्ड लोन सेक्टर को बेहतर तरीके से रेगुलेट करने में मदद मिलेगी.
बैंकों में विदेशी निवेश (FII) के नियमों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा.
हमें बैंकों में भरोसेमंद मालिकों की जरूरत है.
टाइप-I NBFC के नियमों की समीक्षा करेंगे और जरूरत पड़ी तो निर्णय लेंगे.
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि CRR कटौती के पीछे दो प्रमुख उद्देश्य हैं–
पहला, सिस्टम में तरलता (Liquidity) बढ़ाना और
दूसरा, बैंकों के लिए फंडिंग की लागत को कम करना
उन्होंने आगे कहा कि 3% का रिजर्व रेशियो लिक्विडिटी मैनेजमेंट के लिहाज से पर्याप्त और संतुलित स्तर है.
अतिरिक्त लिक्विडिटी से कर्ज (क्रेडिट) का प्रवाह बढ़ेगा और नीति निर्णयों का असर तेजी से दिखाई देगा.
उन्होंने ये भी कहा कि इकोनॉमिक ग्रोथ का लक्ष्य 7-8% के बीच रहने की उम्मीद है.
RBI गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, 'हमें CRR में कटौती करनी थी, तो हमने एक ही बार में कर दी. रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करनी थी, तो वो भी एक बार में कर दी.'
उन्होंने बताया कि बाजार को स्थिरता और भरोसा देने की जरूरत है और इसके लिए मूल्य स्थिरता सबसे अहम उद्देश्य है. उनके मुताबिक, रेपो रेट और CRR में एकमुश्त कटौती से बाजार में स्पष्टता और स्थिरता आएगी.
RBI गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, 'विदेशी मुद्रा भंडार को दोबारा बढ़ाने को लेकर ज्यादा परेशान नहीं होंगे.' उन्होंने ये भी जोड़ा कि अगर अच्छे मौके मिलते हैं तो हम विदेशी मुद्रा भंडार जरूर बढ़ाएंगे.
RBI MPC के फैसलों के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे हैं.