आपका, हमारा कर्ज अभी और सस्ता नहीं होगा. आय यानी 6 अगस्त 2025 को RBI ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.5% पर बरकरार रखने का फैसला किया. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सभी 6 सदस्यों ने सर्व-सम्मति से ये फैसला लिया है.
यही नहीं नीतिगत रुख को 'न्यूट्रल' बनाए रखा गया, जो वैश्विक और घरेलू आर्थिक हालात में संतुलित नजरिए को दर्शाता है. ये फैसला वैश्विक व्यापार तनावों, विशेष रूप से अमेरिका का भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ और रूस के साथ व्यापार के लिए पेनाल्टी लगाने की दौर में लिया गया है.
RBI ने FY26 के लिए GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.5% पर बरकरार रखा, जिसमें जोखिम संतुलित हैं. Q1,FY27 के लिए 6.6% की वृद्धि का अनुमान है. दूसरी ओर CPI यानी खुदरा महंगाई का अनुमान जून में 3.7% से घटाकर 3.1% कर दिया गया. महंगाई में लगातार कमी को देखते हुए ये लक्ष्य रखा है. अच्छे मॉनसून से फसल अच्छी रहने का भी अनुमान है यानी खाने-पीने की चीजों की महंगाई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी. हालांकि गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि सब्जियों की कीमतों में अस्थिरता के कारण हेडलाइन महंगाई Q4 FY26 में 4% से ऊपर जा सकती है, जबकि कोर महंगाई 4% के आसपास स्थिर है.
फरवरी 2025 से अब तक RBI ने रेपो रेट में 100 बेसिस पॉइंट्स (bps) यानी 1 परसेंट की कटौती की है. फरवरी और अप्रैल में 25-25 bps और जून में 50 bps. इस 'फ्रंट-लोडेड' कटौती का असर अब भी अर्थव्यवस्था पर धीरे-धीरे हो रहा है. MPC का मानना है कि मौजूदा मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति और वैश्विक अनिश्चितताओं, जैसे अमेरिकी टैरिफ और रुपये पर दबाव, को देखते हुए फिलहाल दरों में कटौती की जरूरत नहीं है.इसके बजाय RBI पिछले पॉलिसी में फैसले को ठीक से लागू कराने पर जोर दे रहा है.
भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है. RBI ने FY26 के लिए GDP ग्रोथ के अनुमान को 6.5% पर बरकरार रखा, जिसमें जोखिम संतुलित हैं. Q1,FY27 के लिए 6.6% की वृद्धि का अनुमान है.इकोनॉमी में पर्याप्त लचीलापन है. Q4 FY25 में 7.4% की GDP ग्रोथ दर्ज की गई. ग्रामीण मांग और सरकारी पूंजीगत व्यय से निजी खपत और निश्चित निवेश ने आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया. अच्छे मानसून से बुवाई बढ़ेगी, कृषि क्षेत्र में पर्याप्त उत्साह है. हालांकि, शहरी मांग, विशेष रूप से गैर-जरूरी चीजों पर खर्च कमजोर बना हुआ है.
अमेरिकी टैरिफ और रूस के साथ व्यापार पर पेनॉल्टी से निर्यात वाले उद्योग जैसे कपड़ा, केमिकल और जेम्स एंड ज्वेलरी पर दबाव डाला है. इससे ग्रोथ और महंगाई पर असर पड़ सकता है. RBI का 'न्यूट्रल' रुख इस अनिश्चितता के बीच लचीलापन को दिखाता है.
रेपो रेट स्थिर रहने से होम लोन, कार लोन और व्यवसायिक कर्ज की लागत में तत्काल बदलाव नहीं होगा. हालांकि, जून में CRR को 1 घटाने से लिक्विडिटी बढ़ी है. RBI की नीति ने आर्थिक स्थिरता और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश है. कम महंगाई और मजबूत GDP वृद्धि के बावजूद, वैश्विक व्यापार तनावों ने सतर्कता बरतने को मजबूर किया. अब दरों में कटौती के लिए 29 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025 को होने वाली अगली MPC मीटिंग का इंतजार करना होगा.