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RBI Monetary Policy: लगातार चौथी बार नहीं बदलीं ब्याज दरें, रेपो रेट 6.5% पर बरकरार

अकोमोडेशन रुख को वापस लेने के फैसले पर रिजर्व बैंक कायम है
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी10:07 AM IST, 06 Oct 2023NDTV Profit हिंदी
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जैसा कि अनुमान था, रिजर्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, रिजर्व बैंक गवर्नर ने पॉलिसी में कोई सरप्राइज नहीं दिया और रेपो रेट को 6.5% पर ही बरकरार रखा. रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा कि कमिटी के सभी 6 सदस्यों ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है.

अकोमोडेशन रुख की वापसी पर कायम

पॉलिसी का ऐलान करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि अकोमोडेशन रुख को वापस लेने के फैसले पर रिजर्व बैंक कायम है. उन्होंने कहा कि महंगाई के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 6 में से 5 सदस्यों ने अकोमोडेशन रुख की वापसी (withdrawal of accommodation) पर सहमति जताई है. दास ने कहा कि बैंक लोन और डिपॉजिट में 250 bps रेट हाइक का ट्रांसफर होना अभी बाकी है.

रेपो रेट के साथ ही स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को 6.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट को भी बिना बदलाव के 6.75% पर रखा गया है.

महंगाई को 4% पर लेकर आना है

रिजर्व बैंक गवर्नर ने बताया कि हमारा लक्ष्य महंगाई को 4% पर लेकर आना है, अभी महंगाई दर 6% के ऊपर है, जो कि हमारी सीमा से बहुत ऊपर है. अगस्त में सब्जियों की महंगाई में कमी आई है, इसके सितंबर में और कम होने की उम्मीद है. इन सबके बीच देखने वाली बात ये है कि कोर महंगाई दर में कमी आई है. खरीफ की बुआई में गिरावट से कुल महंगाई आउटलुक पर असर पड़ा है.

  • महंगाई का बढ़ा हुआ स्तर काफी हद तक खाद्य कीमतों से आया

  • जुलाई में रिटेल महंगाई में सब्जियों का योगदान एक तिहाई और अगस्त में एक चौथाई था

  • जुलाई-अगस्त में कोर महंगाई दर कम होकर 4.9% पर आ गई

  • जनवरी 2023 में अपने हालिया शिखर से इसमें 140 bps की कमी आई है

सब्जियों की कीमत में सुधार और LPG की कीमतों में कुछ दिन पहले हुई कटौती की वजह से निकट अवधि में महंगाई का आउटलुक सुधरने की उम्मीद है.

बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर महंगाई का असर

इकोनॉमिक ग्रोथ पर रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि सख्त वित्तीय परिस्थितियों की वजह से ग्लोबल अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है, ग्लोबल ट्रेड में कमी आ रही है, हेडलाइन महंगाई में भले ही कमी है, लेकिन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लक्ष्य से ऊपर है.

सख्त मॉनिटरी पॉलिसी रुख ग्लोबल लेवल पर पहले के अनुमान से अधिक समय तक जारी रह सकता है. ग्लोबल ट्रेंड्स के उलट मजबूत घरेलू मांग के बीच घरेलू विकास लचीलापन दर्शाता है. शक्तिकांता दास ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में क्षमता का यूटिलाइजेशन बढ़ना जारी है. डिमाड साइड पर शहरी खपत में लगातार मजबूती है, जबकि ग्रामीण मांग में सुधार दिख रहा है.

FY24 में रियल GDP अनुमान

रिजर्व बैंक ने GDP ग्रोथ के अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया है. FY24 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% का ही है, जो कि पिछली बार भी था, Q2 में ये 6.5% ही रहेगा, Q3 में 6% और Q4 में 5.7% रहने का अनुमान है. जबकि Q1FY25 में GDP ग्रोथ 6.6% रहने का अनुमान है.

चालू खाता घाटा (CAD) कम हुआ

देश का चालू खाता घाटा कम हुआ है और FPIs इनफ्लो बढ़ा है, शक्तिकांता दास ने बताया कि FY24 की पहली तिमाही में देश का CAD घटकर GDP का 1.1% हो गया है.

  • Q1 में चालू खाता घाटा कम होकर GDP का 1.1% हुआ

  • Q1 में विदेशी मुद्रा भंडार में 24.4 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी

  • सितंबर 2023 तक 20.3 बिलियन डॉलर का FPIs निवेश आया

  • अप्रैल-जुलाई में नेट FDI घटकर 5.8 बिलियन डॉलर रह गया

7 अक्टूबर तक ICRR वापस

शक्तिकांता दास ने बताया कि इंक्रिमेंटल CRR को (ICRR) को 7 अक्टूबर 2023 तक चरणबद्ध तरीके से वापस ले लिया जाएगा, उन्होंने कहा कि 'जैसा कि मैंने अपने पिछले पॉलिसी बयानों में कई बार दोहराया है, हद से ज्यादा लिक्विडिटी कीमत और वित्तीय स्थिरता दोनों के लिए जोखिम पैदा कर सकती है. '

इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि मॉनिटरी पॉलिसी मौद्रिक रुख के साथ लिक्विडिटी की स्थिति विकसित हो, रिजर्व बैंक ने एक अस्थायी उपाय के रूप में 10% ICRR लगाया था, जिससे बैंकिंग सिस्टम से 1.1 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी कम हुई थी. ICRR को 8 सितंबर को रिव्यू करने के बाद खत्म करने का फैसला किया गया था.

  • 10% के इंक्रिमेंटल CRR से बैंकिंग सिस्टम से ₹1.1 लाख करोड़ की लिक्विडिटी कम हुई थी

  • ICRR को 8 सितंबर को रिव्यू करने के बाद खत्म करने का फैसला किया गया

  • ICRR को 7 अक्टूबर 2023 तक चरणबद्ध तरीके से वापस ले लिया जाएगा

अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन की तेज ग्रोथ पर चिंता

RBI ने अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन ग्रोथ में तेज ग्रोथ को लेकर चिंता जताई है. शक्तिकांता दास ने कहा कि अनसिक्योर्ड क्रेडिट- पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड वगैरह को लेकर बैंकों को ट्रेंड्स पर नजर रखनी चाहिए और अपने इंटरनल सर्विलांस सिस्टम को मजबूत करने के लिए जो भी कदम उठाने हों, वो उठाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि बैंकों की बैलेंस शीट में कोई परेशानी है. उन्होंने कहा कि 'बैंकों, NBFCs के सभी पैरामीटर्स बेहतर हैं. बैंकों का ग्रॉस NPA भी बेहतर स्थिति में है. हमारा उद्देश्य ये है कि आने वाली किसी भी चुनौती के लिए हम तैयार रहें.'

बीते कुछ वर्षों में साल-दर-साल रिटेल क्रेडिट ग्रोथ करीब 30% रही है. अनसिक्योर्ड रिटेल क्रेडिट ग्रोथ औसतन 23% है, बाकी क्रेडिट ग्रोथ 12-14% के बीच है.

OMO से लिक्विडिटी मैनेजमेंट

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि सिस्टम में लिक्विडिटी को मैनेज करने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) सेल का इस्तेमाल किया जा सकता है, ये कब होगा और कितनी लिक्विडिटी को सिस्टम से निकाला जाएगा, ये सबकुछ उस वक्त लिक्विडिटी की स्थिति को देखते हुए फैसला किया जाएगा. रिजर्व बैंक का ये कदम महंगाई के खिलाफ लड़ाई को लेकर है, जबकि दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं महंगे कच्चे तेल, मजबूत डॉलर और कमजोर करेंसी से जूझ रही हैं, जिसमें रुपया भी शामिल है.

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