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'अर्जुन की आंख काफी नहीं'; RBI ने FY24 के लिए महंगाई का अनुमान बढ़ाया, GDP लक्ष्य बरकरार

हेडलाइन महंगाई जो कि मई में 4.3% तक गिर गई थी, जून में एक बार फिर बढ़ गई. सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते जुलाई-अगस्त के दौरान महंगाई में और बढ़ोतरी का अनुमान है
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी12:26 PM IST, 10 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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'अगर जरूरत पड़े तो हमें नीतिगत पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट्स की तैनाती के लिए अर्जुन की नजर से भी आगे देखने के लिए तैयार रहना होगा.'

मॉनिटरी पॉलिसी का फैसला पढ़ते समय रिजर्व बैंक गवर्नर अक्सर अर्जुन की आंख का जिक्र करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अर्जुन की नजर से आगे सोचने की बात कही, क्योंकि परिस्थितियां बदलीं हैं.

'नजर को अर्जुन की आंख से भी तेज करना होगा'

महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक के माथे पर एक बार फिर शिकन दिखने लगी है. शायद यही वजह है कि शक्तिकांता दास ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी इंस्ट्रूमेंट्स को लागू करने के लिए हमें अपनी नजर को 'अर्जुन की आंख' से भी तेज करना पड़ेगा.

उन्होंने साफ किया कि महंगाई को महज टारगेट बैंड में लाना काफी नहीं होगा, खाद्य महंगाई की वजह से महंगाई के लक्ष्य को हासिल करने में दिक्कतें है. लेकिन हमारा जोर रिटेल महंगाई को 4% के लक्ष्य के अंदर रखने पर है.

शक्तिकांता दास ने कहा कि 'मैंने अपने जून के पॉलिसी स्टेटमेंट में जो कहा था उसे दोहराता हूं, हेडलाइन महंगाई दर को सहनशीलता बैंड के भीतर लाना काफी नहीं है, हमें महंगाई को 4% के लक्ष्य के अनुरूप लाने पर दृढ़ता से ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.'

महंगाई के मोर्चे पर अब भी चुनौती

शक्तिकांता दास ने कहा कि हेडलाइन महंगाई जो कि मई में 4.3% तक गिर गई थी, जून में एक बार फिर बढ़ गई. सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते जुलाई-अगस्त के दौरान महंगाई में और बढ़ोतरी का अनुमान है. ये घटनाएं महंगाई दर पर कड़ी निगरानी की मांग करती हैं. घरेलू आर्थिक गतिविधियां बेहतर कर रही हैं. इन सभी को देखते हुए मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने उभरती स्थितियों पर नजर रखने का फैसला किया है.

FY24 में बढ़ाया महंगाई का अनुमान

मॉनिटरी पॉलिसी के फैसलों का ऐलान करते हुए RBI गवर्नर ने बताया कि FY24 में CPI 5.4% रहने का अनुमान है, जो कि पिछली बार के 5.1% के अनुमान से ज्यादा है, पिछली बार रिजर्व बैंक ने FY24 में CPI 5.2% से घटकर 5.1% रहने का अनुमान जताया था. लेकिन इस बार बढ़ा दिया. दूसरी तिमाही में जहां पहले रिजर्व बैंक का CPI को लेकर अनुमान 5.2% का था, इस बार ये 6.2% रहने का अनुमान है. तीसरी तिमाही में 5.4% था, इस बार अनुमान को बढ़ाकर 5.7% कर दिया है. हालांकि चौथी तिमाही का अनुमान नहीं बदला है.

महंगाई और बढ़ने का अनुमान है

2023-24 की पहली तिमाही में हेडलाइन महंगाई का 4.6% तक गिरना जून MPC बैठक में निर्धारित अनुमानों के मुताबिक थी, खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण जून में हेडलाइन महंगाई बढ़कर 4.8% हो गई. लेकिन अच्छी बात ये है कि खाद्य और ईंधन (कोर महंगाई दर) को छोड़कर महंगाई जनवरी 2023 में अपने हालिया शिखर से 100 बेसिस प्वाइंट से ज्यादा कम हुई है.

जुलाई के महीने में मुख्य रूप से सब्जियों के कारण खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है. टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी और अनाज और दालों की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ी है. नतीजतन, निकट अवधि में हेडलाइन महंगाई दर में पर्याप्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है.

GDP ग्रोथ अनुमानों में बदलाव नहीं

रिजर्व बैंक ने GDP ग्रोथ के अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया है. शक्तिकांता दास ने भारत की GDP ग्रोथ नया अनुमान जारी किया. जिसके मुताबिक Q1FY25 के लिए रियल GDP 6.6% रहने का अनुमान है, जबकि FY24 में रियल GDP ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है.

जिसमें पहली तिमाही में 8%, दूसरी तिमाही में 6.5%, तीसरी तिमाही में 6% और चौथी तिमाही में 5.7% ग्रोथ रहने का अनुमान है. पिछली बार भी यही अनुमान थे.

पिछले रुझानों को देखते हुए, कुछ महीनों के बाद सब्जियों की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है. मॉनसून में सुधार की वजह से खरीफ की फसलों की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं.

शक्तिकांता दास ने कहा कि भारत में ओवरऑल आर्थिक गतिविधि की रफ्तार सकारात्मक बनी हुई है. सप्लाई साइड पर, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में लगातार प्रगति के साथ फसल की बुआई में तेजी आई है. हालाँकि, मॉनसून का वितरण असमान रहा है. जैसा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), कोर इंडस्ट्रियल आउटपुट और PMIs के ताजा आंकड़ों से साफ है, औद्योगिक गतिविधि पकड़ में आ रही है.

FY23 में चालू खाता घाटा बढ़ा

भारत का करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) 2022-23 में GDP का 2% था, जबकि 2021-22 में यह 1.2%. FY2023-24 की पहली तिमाही में एक्सपोर्ट में गिरावट की तुलना में इंपोर्ट में गिरावट के साथ मर्चेंडाइज ट्रेड डेफिसिट कम हो गया है. हालांकि, सर्विसेज एक्सपोर्ट और रेमिटेंस से चालू खाता घाटे को राहत मिलने की उम्मीद है, इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भी CAD काफी हद तक काबू में बना रहेगा

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