मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (RBI MPC) इस हफ्ते FY2024-25 की दूसरी द्विमासिक पॉलिसी बैठक करेगी. इस बात की बड़ी संभावना है कि कमेटी दर और रुख में कोई बदलाव नहीं करे है. हालांकि अप्रैल में हेडलाइन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) महंगाई थोड़ी घटकर मार्च में 4.85% से घटकर सालाना 4.83% पर पहुंच गई.
हालांकि, कोर CPI महंगाई (Inflation) कई साल के सबसे निचले स्तर 3.4% पर रही. ये जून 2017 के बाद का सबसे कम लेवल है.
दूसरी तरफ फूड और बेवरेज महंगाई अप्रैल में बढ़कर 7.9% पर पहुंच गई जो चार महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. लगातार छठे महीने ये 7% के लेवल से ऊपर रही है.
भारतीय मौसम विभाग का दक्षिण-पूर्वी मॉनसून के लिए दूसरे स्तर का अनुमान 106% है. ये सामान्य से अधिक मॉनसून का संकेत देता है. इसके साथ कमजोर पड़ती अल नीनो की स्थिति और ला नीना में बदलाव से मॉनसून की स्थिति, खरीफ फसल का आउटपुट में सुधार आ सकता है और कम महंगाई की उम्मीद है.
ICRA का अनुमान है कि मई में CPI महंगाई बेस इफेक्ट और हीटवेव की वजह से थोड़ी बढ़कर करीब 5% पर पहुंच सकती है. हालांकि अप्रैल और जून के बीच बेहतर बेस इफेक्ट की वजह से जुलाई और अगस्त में महंगाई घटकर 2.5–3.5% के बीच रह सकती है.
मॉनसून के समय पर आने और समान तौर पर वितरित रहने से कृषि आउटपुट को समर्थन मिलेगा और खाद्य महंगाई को भी काबू में रखने में मदद मिलेगी. कुल मिलाकर ICRA ने FY2025 के लिए ICRA ने CPI महंगाई 4.6% रहने का अनुमान जताया है. ये मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के 4.5% के अनुमान से थोड़ा ज्यादा है.
आर्थिक ग्रोथ के मामले में भारत की पिछली वित्तीय तिमाही में GDP और GVA ग्रोथ घटकर क्रमश: 7.8% और 6.3% पर पहुंच गई है. कुल मिलाकर हाल के ग्रोथ के ट्रेंड और MPC अनुमान दिखाते हैं कि दरों में कटौती को साल के आखिरी छह महीनों तक टाला जा सकता है.
(लेखक: अदिति नायर)
अदिति नायर ICRA में चीफ इकोनॉमिस्ट हैं.