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FPI पर RBI का नया फ्रेमवर्क: 10% की सीमा पार की तो FDI माना जाएगा फॉरेन पोर्टफोलियो इन्‍वेस्‍टमेंट!

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को ये भी सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि निर्धारित सीमा से परे अधिग्रहण FDI के लिए लागू प्रावधानों के अनुसार किया गया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:18 AM IST, 12 Nov 2024NDTV Profit हिंदी
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने FPI यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के संबंध में एक ऑपरेशनल फ्रेमवर्क जारी किया है. इसके तहत FPI पर लगाई गई निर्धारित सीमा के उल्लंघन होने पर इसे प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में पुनर्वर्गीकृत (Reclassification) किया जाएगा. 

फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट रूल्‍स यानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियम, 2019 के तहत, किसी कंपनी में FPI पूरी तरह से डायल्‍यूटेड बेसिस पर कुल पेड-अप इक्विटी कैपिटल के 10% से कम होना चाहिए.

यदि 10% की सीमा का उल्लंघन होता है, तो विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के पास अपनी होल्डिंग्स को बेचने या ऐसी होल्डिंग्स को FDI के रूप में री-क्‍लासिफिकेशन करने का विकल्प होता है. 

सरकार से अनुमोदन जरूरी! 

केंद्रीय बैंक RBI ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि ये री-क्‍लासिफिकेशन ‘उल्लंघन का कारण बनने वाले ट्रेड्स के निपटान की तारीख से पांच कारोबारी दिनों के भीतर’ पूरा किया जाना चाहिए.

केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस री-क्‍लासिफिकेशन को सक्षम करने के लिए, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को ‘सरकार से आवश्यक अनुमोदन' की आवश्यकता होगी, जैसा कि लागू हो. इसमें सीमावर्ती देशों से निवेश के मामले में आवश्यक अनुमोदन भी शामिल हैं.

आवश्‍यक शर्तें और सहमति 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को ये भी सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि निर्धारित सीमा से परे अधिग्रहण FDI के लिए लागू प्रावधानों के अनुसार किया गया है. इसका मतलब ये है कि निवेश प्रवेश मार्ग, क्षेत्रीय सीमा, निवेश सीमा, मूल्य निर्धारण दिशा-निर्देशों और FDI नियमों के तहत निर्धारित अन्य शर्तों के अनुरूप होना चाहिए.

RBI ने जो फ्रेमवर्क शेयर किया है, उसके अनुसार, FPI को FDI में पुनर्वर्गीकृत करने के लिए भारतीय निवेशित कंपनी (Indian investee company) की सहमति भी जरूरी होगी. नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि FDI के लिए प्रतिबंधित किसी भी सेक्‍टर में री-क्‍लासिफिकेशन की सुविधा की अनुमति नहीं दी जाएगी. 

FPI के एग्जिट्स के बीच आया फ्रेमवर्क 

केंद्रीय बैंक का ये फ्रेमवर्क ऐसे समय में आया है, जब FPI भारतीय बाजारों से काफी हद तक बाहर निकल रहे हैं. शुक्रवार को लगातार 30वें सत्र में ये क्रम जारी रहा. 8 नवंबर को खत्‍म हुए पांच दिवसीय अवधि में, विदेशी निवेशकों ने 19,637.6 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे.

अक्टूबर में विदेशी निवेशकों के लिए AUM में 85 बिलियन डॉलर से अधिक की गिरावट आई. NDTV प्रॉफिट की ओर से NSDL पर एकत्र आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने महीने की शुरुआत 930.5 बिलियन डॉलर के AUMs के साथ की थी, लेकिन महीने के अंत में ये आंकड़ा 845.30 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

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