अमेरिका में 'ट्रंप काल' शुरू होने के साथ ही टैरिफ वॉर छिड़ी हुई है. भारत जैसे देशों के साथ ट्रंप ने रिसिप्रोकल टैरिफ की नीति रखी है, जिससे कि भारत से निर्यात पर ज्यादा टैरिफ लगना तय है.
इस बीच थिंक टैंक GTRI का मानना है कि भारत की ओर से अमेरिका को प्रस्तावित 'जीरो-फॉर-जीरो' टैरिफ स्ट्रैटजी, घरेलू इंडस्ट्रीज को ट्रंप के रिसिप्रोकल टैरिफ (आपसी शुल्क) के खतरे से बचा सकती है.
राजधानी दिल्ली बेस्ड थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर और भारतीय व्यापार सेवा के पूर्व अधिकारी अजय श्रीवास्तव ने कहा, 'भारत अमेरिका को एक अग्रिम टैरिफ ऑफर दे सकता है और अपने FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) प्लान को छोड़ सकता है.'
उन्होंने कहा, '...चूंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, इसलिए भारत को किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने होंगे.'
श्रीवास्तव ने कहा, 'इसके लिए भारत को उन टैरिफ लाइनों की पहचान करनी होगी, जहां वो घरेलू इंडस्ट्रीज और कृषि को नुकसान पहुंचाए बिना अमेरिकी आयात पर टैरिफ को खत्म कर सकता है.'
उन्होंने कहा, 'इस लिस्ट से अधिकांश कृषि उत्पादों को बाहर रख सकते हैं. ऐसी सूची तैयार करने के लिए भारत जापान, कोरिया और ASEAN के साथ अपने FTA टैरिफ ऑफर को संदर्भ के रूप में इस्तेमाल कर सकता है.'
ट्रंप ने रिसिप्रोकल टैरिफ लागू करने के इरादे का ऐलान कर दिया है, हालांकि इसे वास्तव में अप्रैल में ही लागू किया जाएगा. ऐसे में भारत, अप्रैल से पहले ये प्लान शेयर कर सकता है कि वो कुछ अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क को खत्म करने के लिए तैयार है, बदले में अमेरिका से समान रियायतों की मांग कर सकता है.
श्रीवास्तव ने कहा, 'अगर अमेरिका इसे स्वीकार करता है, तो भारत के लिए रिसिप्रोकल टैरिफ बहुत कम या लगभग शून्य हो सकता है.' इसके माध्यम से, भारत आक्रामक टैरिफ वृद्धि को रोकने के लिए लगभग 90% औद्योगिक वस्तुओं पर टैरिफ को खत्म कर सकता है.
एक रिपोर्ट में, श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि हालांकि 'जीरो-फॉर-जीरो' रणनीति WTO के 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) नियमों का उल्लंघन करती है, लेकिन ये पूर्ण FTA पर बातचीत करने की तुलना में कम नुकसानदायक है.
उन्होंने कहा, 'पूर्ण FTA' भारत को मुश्किल रियायतें देने के लिए मजबूर कर सकता है, जैसे कि सरकारी खरीद को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोलना, कृषि सब्सिडी को कम करना, पेटेंट सुरक्षा को कमजोर करना और डेटा प्रवाह प्रतिबंधों को हटाना, जिन्हें भारत स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है.'
GTRI के विश्लेषण के अनुसार, यदि अमेरिका एक समान टैरिफ लागू करता है, तो भारतीय निर्यात पर वर्तमान 2.8% की तुलना में 4.9% का अतिरिक्त टैरिफ लग सकता है.
यदि कृषि और औद्योगिक वस्तुओं के लिए अलग-अलग टैरिफ लगाए जाते हैं, तो कृषि उत्पादों पर 32.4% और औद्योगिक उत्पादों पर 3.3% का अतिरिक्त टैरिफ लग सकता है.
भारतीय कृषि निर्यात को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, जहां झींगा, डेयरी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर 38.2% तक टैरिफ लग सकता है.
औद्योगिक वस्तुओं में, फार्मास्यूटिकल्स (10.9% टैरिफ), हीरे और गहने (13.3%) और इलेक्ट्रॉनिक्स (7.2%) को बड़ा जोखिम होगा.
कुछ ऐसे सेक्टर्स भी हैं, जिन पर न्यूनतम प्रभाव पड़ सकता है, जैसे पेट्रोलियम, खनिज और वस्त्र, जहां अमेरिका का एवरेज वेटेड टैरिफ पहले से ही ज्यादा है.