खाद्य तेल की कीमतों (Edible Oil Prices) में गिरावट आई है, जिसके साथ ही सरसों, वनस्पति, सोयाबीन सहित कई प्रकार के तेल के दाम गिरे हैं. ये दाम जुलाई के तीसरे हफ्ते से लागू हो जाएंगे. वहीं देश में खाद्यतेलों के बढ़ते आयात के कारण दिल्ली बाजार में शुक्रवार को मूंगफली में आई तेजी को छोड़कर बाकी लगभग सभी तेल तिलहनों के भाव में गिरावट आई. बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में शाम का कारोबार बंद था, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल दो प्रतिशत मजबूत है. मलेशिया एक्सचेंज में कल रात तेजी थी पर तेल उत्पादों के भाव लगभग 15 डॉलर टूटे हैं.
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेल कीमतों की मंदी से आयातक और तेल उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ा है. दूसरी ओर बंदरगाहों पर आयातित तेलों की पहली खेप के माल भी पूरी तरह नहीं बिके हैं. जुलाई में सोयाबीन डिमांड का लगभग पांच लाख टन का रिकॉर्ड आयात होने की उम्मीद है. उस तेल को भी सस्ते में खपाने की बाध्यता होगी क्योंकि उनका आयात 1,950-2,100 डॉलर प़्रति टन के भाव से किया गया है. मंडियों में अभी सोयाबीन डीगम का भाव लगभग 1,350 डॉलर प्रति टन है.
उसने कहा कि सरकार को तेल तिलहन बाजार की उठापटक पर कड़ी नजर रखनी होगी. किसानों के हित को ध्यान में रखकर, उन्हें प्रोत्साहन देकर तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे. शुल्क मुक्त आयात जैसे कदम से तात्कालिक रूप से तेल कीमतें कुछ कम हो सकती हैं पर यह भी देखना होगा कि विदेशों के सस्ते तेल की भरमार हमारे तिलहन किसानों के उत्पादों के भाव को गैर-प्रतिस्पर्धी न बना दे.
आखिर जब सोयाबीन डीगम, पामोलीन जैसे आयातित तेल सस्ते होंगे तो देशी तेल तिलहनों को ऊंचे भाव पर कोई क्यों खरीदेगा. ऐसे में किसान तिलहन की जगह किसी और लाभप्रद फसल का रुख कर सकते हैं. देश की तेल तिलहन मामले में पूरी तरह से विदेशी बाजारों पर निर्भरता एक खतरनाक स्थिति होगी और इस पूरे परिदृश्य को बदलने की आवश्यकता है. ऐसे में सरकार को तेल तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सोची समझी रणनीति अख्तियार करने के साथ चौकस होना होगा.
सरकार ने पहले ही कुछ खाद्य तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है. इसके अलावा डीआयल्ड केक (डीओसी) के आयात की भी छूट दी है. ये सारी परिस्थितियां किसानों को हतोत्साहित कर सकती हैं और तिलहन उत्पादन से वे विमुख हो सकते हैं. सूत्रों ने कहा कि बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो चला है और जहां बिनौला तेल की खपत होती थी वहां मूंगफली तेल तिलहन की मांग है जिसके कारएा मूंगफली तेल तिलहनों के भाव में सुधार आया.
उसने कहा कि देश में जुलाई माह में रिकॉर्ड आयात होने की खबर से सोयाबीन, पामोलीन तेल के भाव और टूट गये. इस गिरावट का असर सरसों तेल पर भी हुआ और उसके भाव भी गिरावट दर्शाते बंद हुए रुपये में रोजाना की रिकॉर्ड गिरावट ने आयातकों के संकट को और बढ़ा दिया है.
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,195-7,245 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली - 6,845 - 6,970 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,150 रुपये प्रति क्विंटल
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,695 - 2,885 रुपये प्रति टिन
सरसों तेल दादरी- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल
सरसों पक्की घानी- 2,295-2,375 रुपये प्रति टिन
सरसों कच्ची घानी- 2,335-2,440 रुपये प्रति टिन
तिल तेल मिल डिलिवरी - 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल
सीपीओ एक्स-कांडला- 10,800 रुपये प्रति क्विंटल
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,300 रुपये प्रति क्विंटल
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
सोयाबीन दाना - 6,250-6,300 रुपये प्रति क्विंटल
सोयाबीन लूज 6,000- 6,050 रुपये प्रति क्विंटल
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल (भाषा इनपुट के साथ)
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