श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से कहा है कि भविष्य निधि कटौती के लिए मूल वेतन में भत्तों को शामिल करने के मामले में वह फिलहाल आगे कदम नहीं बढ़ाए। यह फैसला ईपीएफओ के पांच करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए झटका है।
एक सूत्र ने बताया, ईपीएफओ को श्रम मंत्रालय से पत्र मिला है, जिसमें मूल वेतन के साथ भत्तों को जोड़ने के प्रस्ताव पर कदम आगे नहीं बढ़ाने को कहा गया है। ईपीएफओ जल्दी ही इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार इस कदम से ईपीएफओ की योजनाओं के अंतर्गत आने वाले संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की बचत में वृद्धि होती। इससे कर्मचारियों के हाथ में थोड़ा कम वेतन आता, लेकिन उनकी बचत बढ़ जाती। दूसरी तरफ नियोक्ताओं पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता।
ईपीएफओ ने 30 नवंबर, 2012 को परिपत्र जारी कर भविष्य निधि कटौती के मकसद से 'मूल वेतन' को फिर से परिभाषित किया था। इसमें कहा गया था, वे सभी भत्ते जो आवश्यक एवं समान रूप से कर्मचारियों को भुगतान किए जाते हैं, उन्हें मूल वेतन माना जाए। ईपीएफओ ने इसके साथ ही भविष्य निधि जमाओं में कंपनियों के योगदान के बारे पूछताछ सात साल तक के पुराने मामलों तक ही सीमित रखने का प्रस्ताव किया था।