सरकार ने सोमवार को कहा कि भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी के मुकाबले बेहतर रहा है और विनिमय दर में स्थिरता आई है।
वैश्विक हालात में उतार-चढ़ाव से पूंजी प्रवाह का जोखिम बढ़ा और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की पिछले साल मई में राजकोषीय प्रोत्साहन धीरे-धीरे वापस लेने की घोषणा से रुपये का मूल्य बुरी तरह प्रभावित हुआ।
वित्त वर्ष 2014-15 के लिए अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा 'सरकार, आरबीआई और सेबी ने पूंजी प्रवाह को बढ़ाने ओर विदेशी मुद्रा बाजार में स्थिरता लाने के लिए कई पहल किए।'
चिदंबरम ने कहा, 'दिसंबर 2013 से जनवरी 2014 के बीच (अमेरिका में सरकारी प्रतिभूतियों में खरीद में कमी की) वास्तविक शुरुआत होने पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में, रुपया, सबसे कम प्रभावित हुआ।'
उन्होंने कहा, 'मैं भरोसे के साथ कह सकता हूं कि अर्थव्यवस्था आज पिछले दो साल के मुकाबले ज्यादा स्थिर है। राजकोषीय धाटा कम हो रहा है, चालू खाते का घाटा (कैड) नियंत्रित हो रहा है, मुद्रास्फीति कम हुई है, तिमाही वृद्धि दर बढ़ रही है, विनिमय दर में स्थिरता आई है, निर्यात बढ़ा है और सैंकड़ों परियोजनाओं की दिक्कतें दूर की गई हैं।'
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने के आयात पर नियंत्रण के लिए कई पहल की हैं, जिसके कारण कैड प्रभावित हुआ और रुपये में कमजोरी आई।
आरबीआई ने विशेष प्रवासी भारतीयों से जमा आकर्षित करने और तेल विपणन कंपनियों को डॉलर की व्यवस्था करने की अनुमति देने के लिए विशेष अदला-बदली व्यवस्था की है।
पूंजी बाजार नियामक ने अपनी ओर से मुद्रा बाजार में सट्टेबाजी पर नियंत्रण के लिए पहल किए हैं।
रुपया अगस्त 2013 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 68.82 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था और आज यह उल्लेखनीय रूप से सुधर कर 61.96 के स्तर पर आ गया है।