सरकार ने पेंशन निधि में विदेशी निवेश को गुरुवार को हरी झंडी दे दी। उसका कहना है कि विदेशी निवेश की यह सीमा बीमा क्षेत्र की तरह 49 प्रतिशत तक जा सकती है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) विधेयक को मंजूरी दे दी गई।
बैठक के बाद वित्तमंत्री पी चिंदबरम ने बताया कि विधेयक को मार्च 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था। उसके बाद वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति ने पिछले साल सितंबर में अपनी सिफारिशें दीं।
उन्होंने कहा कि पेंशन में विदेशी निवेश की सीमा बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा के अनुरूप ही होगी। यदि बीमा विधेयक पारित हुआ और विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी रही तो पेंशन क्षेत्र में यह 49 प्रतिशत रहेगा।
विधेयक पेंशन निधि में होने वाले निवेश के कुछ हिस्से का निवेश शेयर बाजार में करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
मूल विधेयक में विदेशी निवेश को लेकर कोई प्रावधान नहीं है। भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी संसद की समिति ने हालांकि सुझाव दिया था कि पेंशन योजनाओं में 26 प्रतिशत की सीमा तय की जाए।
वाम दलों के कड़े विरोध के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व कार्यकाल वाली सरकार के समय विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था। जून 2012 में तृणमूल कांग्रेस के विरोध के कारण कैबिनेट को विधेयक पर फैसला टालना पड़ा। विधेयक में प्रावधान है कि पीएफआरडीए देश में कई पेंशन निधियों की निगरानी कर सकता है और वहीं इस क्षेत्र का पूर्णकालिक नियामक भी होगा।
विधेयक में प्रावधान है कि जनवरी 2004 के बाद से भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारी नई पेंशन योजना के तहत कवर होंगे। सैन्य बल इसमें शामिल नहीं हैं।