वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने अथवा नहीं देने के बारे में कोई भी निर्णय राज्य सरकारों को लेना है इसलिए इस मामले में अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई भी राज्य दूसरे राज्य को एफडीआई की अनुमति देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता और न हीं यह कह सकता कि दूसरे राज्य को भी खुदरा में एफडीआई नहीं लाना चाहिए।
आर्थिक संपादकों के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वित्तमंत्री ने कहा ‘यह पूरी तरह राज्यों के अधिकार क्षेत्र में है कि वह एफडीआई का लाभ उठाना चाहते हैं अथवा नहीं, इस संबंध में कोई भी निर्णय राज्यों को स्वयं लेना है। जहां तक कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को समाप्त किए जाने का सवाल है इस बारे में भी राज्यों को ही निर्णय लेना है।’
बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति को लेकर उठे विवाद पर उन्होंने कहा ‘खुदरा में एफडीआई पर मंत्रिमंडल में पेश करने के लिए पहला विस्तृत प्रस्ताव राष्ट्रीय जनतांतत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के समय ही तैयार किया गया था। मंत्री समूह ने इस पर विस्तारपूर्वक चर्चा भी की थी। उस दस्तावेज में यह भी स्पष्ट किया गया था कि कृषि क्षेत्र में आपूर्ति शृंखला को मजबूत बनाने के लिए खुदरा में एफडीआई जरूरी है। इसी दस्तावेज में यह भी कहा गया था कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई से रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे।’
केन्द्र सरकार ने बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है। प्रमुख विपक्षी दल और सरकार का समर्थन दे रहे कुछ दलों ने इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने केन्द्र के इस निर्णय के विरोध में सरकार से समर्थन वापस ले लिया।