भारतीय समय के मुताबिक आज देर रात को फेड अपनी पॉलिसी का ऐलान करेगा. अनुमानों और कयासों का दौर अपने उफान पर है. लेकिन कोई भी सही सही ये अनुमान लगाने का दावा नहीं कर रहा है. अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट के बाद हालात बिल्कुल ही बदल गए हैं.
परिस्थितियां ऐसी बन गई हैं कि बॉन्ड ट्रेडर्स पूरे विश्वास के साथ अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं कि फेड अपनी पॉलिसी में आखिर करने क्या वाला है. साल भर पहले भी उन्होंने ऐसी ही स्थिति का सामना किया था, जब फेड ने सख्ती की शुरुआत की थी.
कई निवेशक और अर्थशास्त्री इस बात को मानते हैं कि फेड को ब्याज दरों को एक ठहराव देना चाहिए. जिससे फेड को इस संकट का आंकलन करने का मौका मिलेगा, और बैंकों में क्रेडिट की समस्या कितनी बड़ी है और इकोनॉमी पर इसका कितना असर है, इसे समझने का भी मौका मिलेगा. MUFG सिक्योरिटीज में मैक्रो स्ट्रैटेजी के प्रमुख जॉर्ज गोंकाल्वेस का कहना है कि फेड चाहे तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी और अपना आउटलुक हॉकिश रखने से रोक सकता है. वो ये कह सकता है कि हम अभी बढ़ोतरी नहीं कर रहे हैं और वापस लौटकर आएंगे.
मार्केट में अनिश्चितता सिर्फ ट्रेडर्स में ही नहीं है बल्कि कई प्रोफेशनल्स के अनुमानों में भी है. ब्लूमबर्ग ने अर्थशास्त्रियों का एक पोल किया, जिसमें 98 में से 11 इकोनॉमिस्ट्स का अनुमान है कि फेड ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करेगा. जबकि एक नोमुरा सिक्योरिटीज का कहना है कि फेड 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा.
अगर अर्थशास्त्रियों का भरोसा इतना बंटा हुआ है, तो ये अनुमान लगा सकते हैं कि FOMC के लिए भी ब्याज दरों पर फैसला करना आसान नहीं होगा. एक दशक में पहली बार अमेरिका ने इतना बड़ा बैंकिंग संकट देखा है. ये नीति निर्माताओं के लिए भी परीक्षा की घड़ी है. इस बैंकिंग संकट से पहले तक ये माना जा रहा था कि फेड की सख्तियों का चक्र सितंबर तक चलेगा, लेकिन अब ये मई तक हो गया है.
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