देश की बड़ी FMCG कंपनियां परेशान हैं, एक स्टडी से पता चला है कि उनको नए प्रोडक्ट लॉन्च करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. खासकर कोविड महामारी के बाद.
रिसर्च फर्म कांटार (Kantar) की स्टडी के अनुसार, केवल 6% स्टॉक-कीपिंग यूनिट्स ने 2019 में या प्री-कोविड में 1% पेनेट्रेशन को हासिल किया है. 2022 में बहुत कम ब्रैंड्स ने नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करने में सफलता हासिल की है. कांटार वर्ल्डपैनल के मैनेजिंग डायरेक्टर के रामकृष्णन ने NDTV प्रॉफिट को बताया, 'नए प्रॉडक्ट्स लॉन्च करना पहले से ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है.
टॉप लॉन्च में नए ब्रांडों की हिस्सेदारी 2022 में बढ़कर 39% हो गई, जो 2019 में 22% थी. रामकृष्णन ने कहा, "यदि कोई ब्रांड अलग है तो ये नए कंज्यूमर्स पर कब्जा करने का सही मौका है.
कांटार की स्टडी ने तेजी से बढ़ते FMCG सेक्टर के भीतर कंपटीशन को एक और बाधा के रूप में बताया है. स्थानीय कंपनियों के बीच इनोवेशन बहुत अधिक है और नेशनल लेवल के ब्रैंड्स ने इनोवेट करने के बजाय मी-टू प्रोडक्टस (me-too product) स्ट्रैटेजी का पालन किया है. यानी जब लोकल ब्रैंड्स प्रोडक्ट लॉन्च कर देते हैं तो बड़े ब्रांड्स इसकी कॉपी कर लेते हैं.
उदाहरण के लिए, डिटर्जेंट सेक्टर में 2018-19 में लगभग 70% लॉन्च स्थानीय कंपनियों ने किए गए थे. बड़ी कंपनियों ने 2020-21 में मशीन-स्पेसिफिक लिक्विड वेरिएंट (machine-specific liquid variants) में विस्तार किया. इसी तरह डोमेस्टिक कीटनाशक मार्केट में स्थानीय खिलाड़ियों का दबदबा जारी रहा. जवाब में गोदरेज कंज्यूमर (Godrej Consumer) ने इस सेगमेंट को मजबूत करने के लिए 2024 में एक मच्छर-रोधी अगरबत्ती लॉन्च की.
2021-22 में टॉयलेट क्लीनर सेगमेंट में टॉप 10 लॉन्च में से 8 स्थानीय खिलाड़ियों ने किए थे. कंतार ने भविष्यवाणी की है कि ये राष्ट्रीय खिलाड़ियों को इस सेगमेंट को और भी नया करने और विकसित करने के लिए मजबूर कर सकते हैं.
दिलचस्प बात ये है कि इस स्टडी ने बताया कि "हेल्दी" टैग के साथ इनोवेशन को बनाए रखना कठिन होता जा रहा है. 2020-21 में नूडल्स और बिस्कुट सेगमेंट में से सिर्फ 25% लॉन्च पारंपरिक रूप से हेल्दी प्रोडक्ट थे.