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चावल बिक्री के आरक्षित मूल्य में कटौती करने पर विचार

सरकार खुले बाजार के माध्यम से चावल बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से थोक खरीदारों के लिए आरक्षित मूल्य में लगभग 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने पर विचार कर रही है.
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NDTV Profit हिंदी01:22 PM IST, 24 Nov 2019NDTV Profit हिंदी
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सरकार खुले बाजार के माध्यम से चावल बिक्री को बढ़ावा देने के मकसद से थोक खरीदारों के लिए आरक्षित मूल्य में लगभग 500 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती करने पर विचार कर रही है. देश में चावल के भारी बफर स्टॉक होने के बीच यह कदम उठाया जा रहा है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि हालांकि, गेहूं की कीमत में कटौती की कोई योजना नहीं है. भारत सरकार की गेहूं के आरक्षित मूल्य में कोई भी संशोधन करने की कोई योजना नहीं है और गेहूं की वर्तमान आरक्षित कीमत 2019-20 की शेष अवधि के दौरान पूर्ववत बनी रहेगी.

सरकार, वर्ष 2019-20 में खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केंद्रीय पूल स्टॉक से बिक्री को बढ़ावा देने के लिए चावल के आरक्षित मूल्य को 2,785 रुपये प्रति क्विंटल से घटाकर 2,250 रुपये प्रति क्विंटल करने के बारे में विचार कर रही है. 

खाद्य मंत्रालय, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा बफर स्टॉक में भंडारित किये गये गेहूं और चावल को बेचने के लिए ओएमएसएस का संचालन करता है. खाद्यान्न को आरक्षित मूल्य पर आटा एवं चावल मिलों और उपभोक्ता उद्योगों को निविदा के माध्यम से बेचा जाता है.

खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी एफसीआई के पास 2.31 करोड़ टन चावल जबकि 3.73 करोड़ टन गेहूं है. एक नवंबर को कुल खाद्यान्न भंडार लगभग छह करोड़ टन का था. एफसीआई ने चालू वित्त वर्ष में थोक उपभोक्ताओं को एक करोड़ टन गेहूं बेचने का फैसला किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक होगा. गेहूं का आधार मूल्य 2,080 रुपये प्रति क्विंटल है.

पिछले वित्त वर्ष के दौरान एफसीआई ने 70 लाख टन गेहूं की बिक्री की थी. नयी फसल के लिए जगह बनाने के लिए थोक खरीदारों को गेहूं और चावल की बिक्री की जाती है. देश में मौजूदा खाद्यान्न भंडारण क्षमता 8.8 करोड़ टन की है जिसमें 7.5 करोड़ टन को घिरी जगहों पर रखा जाता है जबकि 1.3 करोड़ टन को ‘कवर एरिया प्लिंथ (सीएपी) में भंडारित किया जाता है.


 

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