भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से जारी करने की तैयारी कर रही सरकार ने फिर जोर दे कर कहा है कि वह इसे 'प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बना रही है' और इस पर मतभेद दूर करने के लिए विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श को तैयार है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को वाराणासी से बातचीत में विवादास्पद भूमि अध्यादेश को लेकर पूछे सवालों के जवाब में कहा, यह हमारे लिए प्रतिष्ठा का सवाल नहीं है। हम देश, खासकर गावों के विकास के लिए ही 2013 के कानून में बदलाव करना चाहते हैं।
जेटली ने कहा कि हम मूल विधेयक में नौ संशोधन लेकर आए हैं। अभी भी हम इस विधेयक का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के साथ बातचीत को तैयार हैं। यदि उनके पास कुछ ऐसे सुझाव हैं, जो देश के लिए फायदेमंद हैं, उन पर बातचीत के लिए हम तैयार हैं। विपक्ष को अपना अड़ियल रुख छोड़ना चाहिए। यह देश के लिए अच्छा होगा।
जेटली का यह बयान ऐसे समय आया है, जबकि एक दिन पहले सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा के सत्रावसान और इस अध्यादेश को फिर जारी करने का निर्णय किया। भूमि अधिग्रहण अधिनियम संशोधन विधेयक राज्य सभा में अटका हुआ है। अध्यादेश की मियाद 5 अप्रैल को समाप्त हो रही है।
भूमि कानून, 2013 में संशोधन को उचित ठहराते हुए जेटली ने कहा कि यह कानून विकास के रास्ते में अड़चन है। यह महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं मसलन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सिंचाई योजना, ग्रामीण विद्युतीकरण, सभी के लिए घर तथा हवाई अड्डों व समुद्री रास्तों के लिए जमीन अधिग्रहण की इजाजत नहीं देता।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि उसका मुख्य उद्देश्य एनडीए की नीतियों को रोकना है और उसे देश के विकास की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष इस मुद्दे पर देश को गुमराह कर रहा है।