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दिवाली पर भारी जीएसटी : कपड़ा व्यवसाय में हो रहा भारी नुकसान

हर साल दिवाली से पहले मुंबई के कालबादेवी इलाके में स्थित स्वदेशी बाजार में लोगों की भीड़ लगी रहती है. सौ साल से भी पुराने इस बाजार में से पूरे देश भर में कपडे निर्यात की जाती है लेकिन कपड़े पर 5 फीसदी जीएसटी लगने के बाद से बाजार फीका पड़ता दिख रहा है. दुकानदारों ने भी एनडीटीवी इंडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने सोचा था कि जीएसटी के लागू होने के बाद चीज़ें सस्ती हो जाएंगी और व्यवसाय करना और भी सरल हो जाएगा लेकिन कपड़े पर पांच फीसदी जीएसटी लगने के बाद से कपड़े की मांग लगभग आधी हो गई है.
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NDTV Profit हिंदी07:03 PM IST, 26 Sep 2017NDTV Profit हिंदी
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हर साल दिवाली से पहले मुंबई के कालबादेवी इलाके में स्थित स्वदेशी बाजार में लोगों की भीड़ लगी रहती है. सौ साल से भी पुराने इस बाजार में से पूरे देश भर में कपडे निर्यात की जाती है लेकिन कपड़े पर 5 फीसदी जीएसटी लगने के बाद से बाजार फीका पड़ता दिख रहा है. दुकानदारों ने भी एनडीटीवी इंडिया से बातचीत करते हुए बताया कि उन्होंने सोचा था कि जीएसटी के लागू होने के बाद चीज़ें सस्ती हो जाएंगी और व्यवसाय करना और भी सरल हो जाएगा लेकिन कपड़े पर पांच फीसदी जीएसटी लगने के बाद से कपड़े की मांग लगभग आधी हो गई है. यह हाल केवल स्वदेशी बाजार का ही नहीं है. मुंबई से सटे भिवंडी के पॉवरलूम का भी यही हाल है. जीएसटी के लागू होने के बाद से कई लोगों ने अपनी हैंडलूम बंद कर दिए हैं जिसका असर मजदूरों पर पड़ रहा है.  

मजदूर भी हैं प्रभावित 
स्वदेशी बाजार के ठीक सामने ही अरविन्द कोठारी कपड़े की दुकान चलाते हैं.  अरविन्द बताते हैं कि उनकी दुकान पिछले 45 साल से चल रही है लेकिन उन्होंने ऐसा हाल कभी नहीं देखा. अरविन्द ने अपने दुकान में पहले की तुलना में काम करने वाले लोगों की संख्या आधी कर दी है.  यही हाल बाजार के अंदर की भी है.  मजदूरी का काम करने वाले विकास चव्हाण ने कहा कि पहले जहां वो मजदूरी कर महीने का दस से बारह हज़ार रुपये कमा लेते थे वहीं अब वह केवल पांच हज़ार रुपये कमा पा रहे हैं. जीएसटी के कारण घटती मांग का असर विकास चव्हाण जैसे सैकड़ों मजदूर पर पड़ता दिख रहा है.  

सरकार नहीं दे रही है राहत
कपड़े पर पांच फीसदी जीएसटी के विरोध में कपड़ा कारखानों ने प्रदर्शन किया था और दुकानें भी बंद रखी थीं. घटती मांग को देखते हुए सरकार ने भी कपड़ा व्यवसाय को आश्वासन दिया था कि कपड़ा व्यापारियों के लिए सही कदम उठाए जाएंगे लेकिन अबतक ऐसा कुछ भी होता हुआ नहीं दिख रहा है.

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