गुजरात में सोमवार को अहमदाबाद और सूरत समेत सभी कपड़ा उद्योग से जुड़े बाज़ारों ने एक दिन की हड़ताल रखी। कपड़ा उद्योग पर बजट में लगाये गये दो प्रतिशत अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी का विरोध करने के लिए एक दिन का बंद रखा गया।
एक अनुमान के मुताबिक गुजरात में करीब 11,000 गारमेन्ट मैन्यूफैक्चरर हैं और करीब 4 लाख लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुजरात गारमेन्ट मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन का कहना है कि एक कपड़ा बनकर तैयार होता है तब तक वो करीब 13 से 14 अलग-अलग जगहों से होकर आता है। बनने से लेकर रंग औऱ अलग-अलग हिस्सों की कटाई और फिर सिलाई जैसे कामों में अलग-अलग कारीगर इससे जुड़े हुए होते हैं और ये व्यवसाय पूरी तरह से असंगठित है। ऐसे में 2 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी इन सभी स्तरों पर लागू होते होते एक उत्पाद पर करीब 8 से 10 प्रतिशत तक पड़ेगा।
पहले हि ये उद्योग थोड़ी मंदी झेल रहा है औऱ अगर महंगाई और बढ़ जाएगी तो इसकी दिक्कतें और ज्यादा बढ़ जाएंगी। गुजरात गारमेन्ट मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन के प्रमुख विजय पुरोहित का कहना है कि एक औऱ विभाग बढ़ जाने से इसमें भ्रष्टाचार बेहद बढ़ जाएगा। जब जब इन्स्पेक्टर राज आया है भ्रष्टाचार और बढ़ा ही है।
एसोसिएशन के सेक्रेटरी अर्पण शाह का कहना है कि मोदी जी के सूत्र मेक इन इंडिया को अगर कोई सचमुच सार्थक करता है तो वो है कपड़ा उद्योग। ऐसे में अगर कपड़ा उद्योग बेहाल हुआ तो सरकारी सपने भी पूरे नहीं हो पाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक देश भर में कृषि के बाद कपड़ा उद्योग ही सबसे ज्यादा, करीब 11 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है।
महत्वपूर्ण है कि सोना-चांदी के गहनों पर 1 प्रतिशत अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी का विरोध जौहरी पिछले 12 दिनों से लगातार कर ही रहे हैं और इसका विरोध करने के लिए देशभर में बेमियादी हड़ताल पर हैं। इससे अब तक इस व्यापार को करीब 72,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
महत्वपूर्ण है कि नरेन्द्र मोदी सरकार के बजेट का विरोध सबसे मुखर तरीके से उनके गृहराज्य गुजरात में ही हो रहा है। पहले जौहरियों की हड़ताल, जिसे हीरे के व्यवसाय ने भी संपूर्ण समर्थन दिया औऱ अब गारमेन्ट उद्योग भी इस विरोध में जुड़ गया है।