ADVERTISEMENT

नहीं रहे साइकिल को घर-घर का 'हीरो' बनाने वाले हीरो ग्रुप के ओ.पी. मुंजाल

हीरो साइकिल के मानद चेयरमैन और हीरो समूह के संस्थापकों में से एक उद्योगपति ओ.पी. मुंजाल का शुक्रवार को लुधियाना में निधन हो गया। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। मुंजाल का निधन 87 साल उम्र में डीएमसी हीरो हार्ट सेंटर में हुई। उनके परिवार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार अंतिम संस्कार कल किया जाएगा।
NDTV Profit हिंदीReported by NDTVKhabar.com Team, Edited by Swati Arjun
NDTV Profit हिंदी09:54 AM IST, 14 Aug 2015NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

हीरो साइकिल के मानद चेयरमैन और हीरो समूह के संस्थापकों में से एक उद्योगपति ओ.पी. मुंजाल का शुक्रवार को लुधियाना में निधन हो गया। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। मुंजाल का निधन  87 साल उम्र में डीएमसी हीरो हार्ट सेंटर में हुई। उनके परिवार द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार अंतिम संस्कार कल किया जाएगा।

मुंजाल पिछले महीने ही समूह के कारोबार में सक्रिय भूमिका से सेवानिवृत्त हुए थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उनके बेटे पंकज मुंजाल ने हीरो मोटर्स समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद संभाल लिया था।

मुंजाल ने 1944 में अपने तीन भाइयों बृजमोहन लाल मुंजाल, दयानंद मुंजाल और सत्यानंद मुंजाल के साथ अमृतसर में साइकिल के कल-पुर्जे का कामकाज शुरू किया था। इसके बाद वह अपना कारोबार लुधियाना ले गए और कंपनी का नाम हीरो रखा। इस तरह भारत की पहली साइकिल बनाने वाली इकाई की स्थापना 1956 में हुई।

इधर 80 के दशक में हीरो साइकिल विश्व में संख्या के लिहाज से साइकिल बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गई। मुंजाल ने लगभग 60 साल तक हीरो साइकिल का नेतृत्व किया और उन्होंने कंपनी को कल-पुर्जा विनिर्माण और आतिथ्य क्षेत्र में भी प्रवेश करने में मदद की।

उनके नेतृत्व में हीरो कंपनी सिर्फ साइकिल बनाने वाली कंपनी से 3,000 करोड़ रुपए का औद्योगिक घराना बन गई। वह अखिल भारतीय साइकिल विनिर्माण संघ के अध्यक्ष भी रहे। कई राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करने वाले मुंजाल को परोपकारी व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने भारत के कई शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों की मदद की।

निजी ज़िंदगी में ओ.पी.मुंजाल शेर-ओ-शायरी के बेहद शौकीन थे। कई दफा जोश में आकर वे लोगों को उत्साह में शेर सुनाने लगते थे। ओपी मुंजाल का परिवार बंटवारे के बाद अमृतसर आ गया था। वे परिवार में सबसे बड़े थे और कम  पढ़े लिखे थे। भाइयों समेत अमृतसर की गलियों में साइकिल पर रखकर ही साइकिल के पुर्जे सप्लाई करने का काम शुरू किया और धीरे-धीरे कामयाबी की मंजिलें चढ़ते गए। ओपी मुंजाल ने अपनी पहली कंपनी कर्ज़ लेकर शुरू की थी। आज के दिन मुंजाल परिवार के सदस्यों के नाम बड़े-बड़े उद्योग हैं।

मुंजाल को पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, वीवी गिरी, ज्ञानी जेल सिंह और डॉक्टर अब्दुल कलाम ने राष्ट्रीय सम्मान से भी नवाज़ा था। उनके परिवार में एक बेटा, चार बेटियां और 10 नाती-पोते हैं। ओ.पी. मुंजाल की धर्मपत्नी सुदर्शन मुंजाल का इसी साल 20 फरवरी को देहांत हो गया था।

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT