भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की अगले साल फरवरी में होने वाली मंत्री-स्तरीय बैठक में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण के मसले का एक स्थायी समाधान तलाशने का आह्वान किया है. जिनेवा स्थित एक अधिकारी ने कहा कि इस मसले पर डब्ल्यूटीओ की कृषि संबंधी समिति ने विशेष चर्चा की है. गत तीन-चार मई को हुए एक विशेष सत्र में खाद्य निर्यात से जुड़ी भारत की चिंताओं पर गौर किया गया.
अधिकारी के मुताबिक, भारत ने सार्वजनिक भंडारण (पीएसएच) और विशेष सुरक्षात्मक प्रणाली (एसएसएम) से इतर वैकल्पिक खाद्य सुरक्षा समाधानों के लिए दी गई दलीलें खारिज कर दी हैं. दरअसल भारत का मानना है कि बाजार तक पहुंच और निर्यात पर प्रतिबंध जैसे कदमों का कोई मतलब नहीं है.
इसके अलावा भारत ने खाद्य उत्पादों पर मुद्रास्फीति एवं आर्थिक कारकों के प्रभाव को दर्शाने के लिए बाहरी संदर्भ कीमतों की नए सिरे से गणना करने की जरूरत पर बल दिया है.
यह पूरा मामला डब्ल्यूटीओ के उस मानक से जुड़ा हुआ है जिसके मुताबिक कोई भी सदस्य देश 1986-88 के संदर्भ कीमत के आधार पर खाद्य उपज के मूल्य के 10 प्रतिशत से अधिक राशि की सब्सिडी नहीं दे सकता है. इससे अधिक सब्सिडी दिए जाने पर उसे व्यापार में व्यवधान के बराबर माना जाएगा.
इस अधिकारी ने कहा, 'भारत ने कहा है कि खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण संबंधी मौजूदा प्रस्ताव में बदलाव करने की उसकी कोई मंशा नहीं है. इसके साथ ही उसने कहा है कि यह सिर्फ आगे की राह है. भारत ने 13वीं मंत्री-स्तरीय बैठक में पीएसएच के मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने की मांग रखी है.'
डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों की 13वीं मंत्री-स्तरीय बैठक 26 फरवरी, 2024 को संयुक्त अरब अमीरात के अबु धाबी में होने वाली है. यह 164 देशों के संगठन डब्ल्यूटीओ की सर्वोच्च नीति-निर्धारक बैठक होती है.
विश्व व्यापार संगठन की कृषि समिति की बृहस्पतिवार को संपन्न हुई बैठक में भारत के अलावा चीन, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और मिस्र ने भी सार्वजनिक खाद्य भंडारण से जुड़े मसले का समाधान निकालने की मांग रखी.
अधिकारी के मुताबिक, इन देशों ने कहा कि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए खाद्य भंडारण सभी विकासशील देशों की जरूरत है क्योंकि उन्हें अपने नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है. इस दौरान भारत ने गैर-प्रस्तावक देशों के अड़ियल रवैये के लिए उनकी आलोचना भी की.
भारत ने इस मसले के स्थायी समाधान के लिए खाद्य सब्सिडी की अधिकतम सीमा की गणना करने वाले फॉर्मूले में संशोधन करने और 'शांति प्रावधान' के दायरे में लागू किए गए खाद्य कार्यक्रमों को शामिल करने जैसे सुझाव दिए हैं.