भारत में बैंकों ने विलय और अधिग्रहण (M&A) के क्षेत्र में बेहतरीन तिहाई देखा है, जबकि इसी दौरान ग्लोबल मार्केट गिरावट में चल रहा है. Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वित्तीय वर्ष की दूसरी तिहाई में भारत ने 82.3 बिलियन डॉलर M&A डील देखीं. यह साल 2019 में इसी तिमाही में यह रिकॉर्ड 38 डॉलर पर था, यानी कि इस तिमाही में यह कोरोना के पूर्व रिकॉर्ड के दोगुने स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, अगर ग्लोबल बाजार पर नजर डालें तो इसी तिमाही में यह नंबर 827.6 बिलियन डॉलर रही है, जो पिछले साल यानी 2021 की इसी तिमाही में 8.7% नीचे था.
भारत में M&A बाजार में तेजी की मुख्य वजह HDFC Bank Ltd का अप्रैल में Housing Development Finance Corp के 60 बिलियन डॉलर में पूरे शेयर खरीदना रही है. अप्रैल में भारत में वैल्यू के लिहाज से सबसे बड़े बैंक और सबसे बड़ी हाउसिंग लोन कंपनी का विलय हुआ था.
इसके अलावा देश की दो बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियां भी साथ आईं. Mindtree Ltd. और इंजीनियरिंग कॉन्गलोमरेट Larsen & Toubro Ltd. की कंपनी Larsen & Toubro Infotech Ltd. का विलय हुआ. मई में 3.3 बिलियन डॉलर की ऑल स्टॉक डील की घोषणा हुई थी.
अरबपति बिजनेसमैन गौतम अडाणी ने भी अंबुजा सीमेंट लिमिटेड को 10.5 बिलियन डॉलर में खरीदने की घोषणा की है. इस डील के जरिए वो सीमेंट कंपनियों के बाजार में भी अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं.
बड़ी-बड़ी कंपनियों की ओर से विलय और अधिग्रहण का रास्ता अपनाया जाना यह दिखाता है कि फिनटेक इंडस्ट्र के विस्तार और क्लाइमेट चेंज के बीच ये कंपनियां खुद को लचीला बनाने के इरादे से डीलमेकिंग का सहारा ले रही हैं.
रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर में भी भारत में कंपनियों ने उत्साह दिखाया हैं. इस सेक्टर की कंपनियां कुछ सबसे बड़ी डीलमेकर्स बनी हैं. Shell Plc ने रिन्युएबल पावर सप्लाई Sprng Energy Pvt को 1.5 बिलियन डॉलर में खरीदने को कहा था. फ्रांस की TotalEnergies SE ने Adani New Industries Ltd. ने 25% हिस्सेदारी खरीदी है. कंपनी अगले दशक में ग्रीन हाइड्रोजन जैसी तकनीक में 50 बिलियन डॉलर तक का निवेश करने की योजना लेकर चल रही है.
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