टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन रतन टाटा घोटालों तथा पिछली तारीख से करारोपण के कारण इस समय भारत की जो छवि बनी है, उससे परेशान हैं। वह चाहते हैं कि सरकार देश के कानून की पवित्रता को बनाए रखने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता जताए।
टाटा समूह की 50 साल तक सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे रतन टाटा ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, भारत की आज जो छवि है, वैसी पहले कभी नहीं थी। इन 50 वर्षों में वह 21 साल तक समूह के चेयरमैन रहे।
करीब एक घंटे चले साक्षात्कार में टाटा ने समूह के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल में किए गए निर्णयों, मौजूदा निवेश परिदृश्य तथा व्यावसायिक नैतिकता तथा भाई-भतीजावाद वाली पूंजीवादी व्यवस्था के बारे में बातें कीं। इस महीने 75 साल के हो रहे टाटा ने कहा कि हाल के घोटालों, अदालती प्रक्रियाओं तथा पिछली तारीख से करारोपण जैसी बातों से भारत की छवि को धक्का लगा है, इन सबके कारण सरकार की विश्वसनीयता को लेकर निवेशकों में असमंजस की स्थिति बनी है।
उन्होंने कहा, आपको भारत में निवेश के लिए एफआईपीबी से मंजूरी मिली और आपने कंपनी बनाई, आपको परिचालन के लिए लाइसेंस मिला और फिर उसके तीन साल बाद वही सरकार आपसे कहती है कि आपका लाइसेंस अवैध है और आपका सब कुछ चला गया।
टाटा ने कहा, इससे अनिश्चितता का माहौल बनता है। इससे पहले कभी भारत की ऐसी छवि नहीं रही। वास्तव में इन सबने मुझे परेशान किया, क्योंकि तब इसका तात्पर्य है कि कुछ भी हो सकता है। रतन टाटा ने जोर देकर कहा कि भारत को यह दृढ़ प्रतिबद्धता व्यक्त करनी होगी कि देश के कानून में पवित्रता है और सरकार के फैसले को हल्के ढंग से नहीं लिया जा सकता।
उन्होंने कहा कि ऐसा न हुआ तो भारत को हल्के में लिया जाएगा। मौजूदा स्थिति की आलोचना करने के बावजूद टाटा भारत के आर्थिक भविष्य को लेकर पूरे आशावान है। निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कदमों का स्वागत करते हुए टाटा ने कहा, एफडीआई तथा अन्य चीजों के लिए हाल में उन्होंने जो कुछ किया, मेरे हिसाब से उससे कुछ हद तक विश्वास बहाल होगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भले ही इन कदमों का बड़ा सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है।
टाटा ने कहा, लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयास करना होगा कि देश में जो कानून बने हैं, जो विधान हैं, वे बने रहेंगे। अगर इनमें बदलाव करना हो, तो वह तार्किक तरीके से होना चाहिए और वह आगे अपने वाले समय के लिए होना चाहिए न कि उसे पिछली तिथि से प्रभावी बनाया जाए। बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए टाटा ने कहा कि इससे उपभोक्ताओं के समक्ष चुनाव के लिए ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे और उम्मीद है कि ये विकल्प अपेक्षाकृत कम लागत वाले होंगे। अगर ऐसा नहीं होगा, तो यह मॉडल को विफल समझा जाएगा।