वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) ने नोटबंदी के बाद जनधन बैंक खातों में जमा में अचानक हुई वृद्धि की रिपोर्ट को देखते हुए देश भर में खास तौर से इन खातों में किए गए सभी संदिग्ध लेन-देन का पूरा ब्योरा इकट्ठा करने के लिए अभियान शुरू किया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाला एफआईयू ने सभी सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों को इस संदर्भ में पत्र भेजकर इन खातों में राशि तथा लेन-देन गतिविधियों का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है. पत्र में 9 नवंबर से लेन-देन गतिविधियों के साथ 8 नवंबर तक जमा राशि के बारे में पूरा ब्योरा देने को कहा है. 8 नवंबर की आधी रात से 500 और 1,000 रुपये के नोट पर पाबंदी लगाई गई थी.
सूत्रों के अनुसार 20 नवंबर तक एजेंसी को करीब छह करोड़ जनधन खातों के संदर्भ में जवाब मिल चुका है और इस ब्योरे को अब आयकर विभाग समेत विभिन्न एजेंसियों को भेजा जा रहा है.
कर विभाग ने हाल ही में लोगों को कालाधन दूसरे के खाते में डालने को लेकर आगाह किया था. उसका कहना था कि इस पर हाल में लागू बेनामी सौदा कानून के तहत आरोप लगेंगे. इसके तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना, अभियोजन लगाया जा सकता है तथा अधिकतम सात साल का सश्रम कारावास हो सकता है.
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद जनधन खातों में जमा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. पिछले 13 दिनों में इन खातों में इस दौरान 21,000 करोड़ रुपये जमा किए गए. इस मामले में पश्चिम बंगाल सबसे आगे हैं, जहां सर्वाधिक जमा देखे गए. उसके बाद कर्नाटक का स्थान है.
नोटबंदी के बाद इन खातों में जमा राशि बढ़कर 65,000 करोड़ रुपये से 66,636 करोड़ रुपये हो गई. वहीं 9 नवंबर को ऐसे करीब 25.5 करोड़ खातों में 45,636 करोड़ रुपये जमा थे.
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