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गूगल CEO सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर में स्टूडेंट्स से जब कहा... हां, मैंने भी बंक मारा | मुख्य अंश पढ़ें

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में आईआईटी कैंपस में स्टूडेंट्स से छात्रों से संवाद कर रहे हैं. बुधवार को वह राजधानी दिल्ली में थे. यहां उन्होंने लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े एक कार्यक्रम में गूगल द्वारा कारोबारियों के लिए की गई पहल का ऐलान किया था. उन्होंने कैंपस में स्टूडेंट्स से अपने अनुभव साझा किए और कहा कि उन्होंने अपने जीवन में पहला कंप्यूटर यहीं देखा.
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NDTV Profit हिंदी09:30 PM IST, 05 Jan 2017NDTV Profit हिंदी
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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में आईआईटी कैंपस में स्टूडेंट्स से छात्रों से संवाद कर रहे हैं. बुधवार को वह राजधानी दिल्ली में थे. यहां उन्होंने लघु और मध्यम उद्योगों से जुड़े एक कार्यक्रम में गूगल द्वारा कारोबारियों के लिए की गई पहल का ऐलान किया था. उन्होंने कैंपस में स्टूडेंट्स से अपने अनुभव साझा किए. जब उनसे पूछा गया कि 10 साल बाद आप खुद को कहां देखते हैं.. उन्होंने कहा कि 10 साल बड़ा समय होता है. पता नहीं कहां होऊंगा लेकिन इच्छा यही है कि ऐसी चीजें बनाता रहूं जो काम आएं.

इस सेशन में गूगल सीईओ सुंदर पिचाई द्वारा कही गई बातों के कुछ अंश...

  • यहां लौटना बेहद शानदार है. तब कैमरा और फोन नहीं हुआ करते थे
  • यहां एडमिशन लेना आसान नहीं था. यह बेहद मेहनत का काम था
  • मैंने क्लास बंक की? हां, यह कॉलेज में सही लगता है... लेकिन मैंने काफी मेहनत भी की.
  • मैंने अपने जीवन में पहला कंप्यूटर यहीं देखा.
  • मैंने स्कूल में हिन्दी सीखी लेकिन मैं ज्यादा बोल नहीं पाता था. मैं चेन्नई  से आया था. मैंने लोगों को बोलते हुए सुनता था.. एक बार मैंने किसी को मेस में देखा जिसे बुलाने के लिए मैंने कहा.. अबे साले.. तब मैं समझ रहा था कि ऐसे ही बोला जाता है..
  • मेस में खाने को लेकर जो मजेदार सवाल जवाब किए जाते थे, उनमें से मेरा यह एक फेवरिट था.. लोग पूछते थे कि बताओ यह दाल है या सांभर..
  • मैं यहीं पर अपनी पत्नी से मिला. तब किसी के पास यूं चले जाना और बात करना आसान नहीं था... घर पर कंप्यूटर नहीं था. यहीं पर पहला पहला कंप्यूटर देखा. अब हमारे पास 300 स्मार्टफोन हैं.
  • मुझे याद है कि जब आप (कॉलेज में) नए नए होते हैं. (रूम का) ताला लगाकर चले जाते हैं लेकिन जब आप रूम में वापस आते हैं तो ताला खुले बिना ही आपका कमरा पूरी तरह से री-अरेंज हो चुका होता है.
  • कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं लेकिन मैं यहां कैंपस में काफी ज्यादा बदलाव देखता हूं
    मुझे पूरा विश्वास है कि आपके आज के अनुभव मेरे अनुभवों से ज्यादा अलग नहीं होंगे. मेरी यहां से जुड़ी कई अच्छी यादें हैं. आप पूरे जीवन के लिए दोस्त बनाते हैं...
  • भारत में डिजिटल मार्केट फल फूल रहा है. भारतीय कंपनियों को बड़ी चीजों पर फोकस करने की जरूरत है. निश्चित तौर पर भारत से जल्द ही कई ग्लोबल इनोवेशन देखने को मिलेंगी.
  • कई लोग चाहे वे आईआईटी से नहीं हों, लेकिन काफी बड़ा काम कर जाते हैं. भारत में काफी ज्यादा टैलेंट मौजूद है.
  • हम गूगल में हमेशा महत्वाकांक्षी अप्रोच अपनाते हैं. हम उन चीजों पर काम करना चाहते हैं जिन्हें अरबों लोग प्रतिदिन इस्तेमाल करते हैं.
  • हो सकता है आप कभी कभी फेल भी हो जाएं. पर ठीक है. लैरी पेज कहा करते थे कि आपको बड़े काम करने का लक्ष्य रखना चाहिए. यदि आप फेल होते हैं तो भी आप कुछ ढंग का सृजित कर पाएंगे जिससे आप काफी कुछ सीखेंगे.
  • ज्यादातर अभिभावक अपने  बच्चों को एजुकेशन के मामले में ऊंचा लक्ष्य रखते हुए देखना चाहते हैं और यह जो आदत है, वह बेहद शानदार है. एजुकेशन पर फोकस, एक बड़ी ताकत है. मैं युवाओं को रचनात्मकता पर फोकस करते हुए देखना चाहता हूं और चाहता हूं कि वे जोखिम लें.
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