भारत की विकास दर की गति को तेज या धीरे करने में क्रूड ऑयल या कहें कच्चा तेल अहम भूमिका निभाता है. पिछले कुछ दिनों से ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें 73 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की गिरी कीमतों का असर 2023-24 में भारत की जीडीपी विकास संभावनाओं पर असर डालता है. इस बारे में एनडीटीवी इंडिया के रिपोर्टर हिमांशु शेखर मिश्रा ने जाने माने तेल अर्थशास्त्री किरिट पारेख से बात की.
पारेख ने कहा कि हम करीब 200 मिलियन टन से ज्यादा कच्चे तेल का आयात कर रहे हैं. तेल की कीमतों में अगर गिरावट आती है तो हमारी ग्रोथ रेट बढ़ सकती है. पारेख का कहना है कि ऐसे में अर्थव्यवस्था और बेहतर हो सकती है क्योंकि कच्चा तेल जब महंगा होता है तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता है. देश का काफी पैसा इस काम में खर्च होता है और आयात पर खर्च काफी बढ़ जाता है.
भारत के लिए महत्वपूर्ण है कि तेल की कीमत घटे. इससे आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ सकती है. इससे कच्चे तेल के आयात पर खर्च बचेगा जिसका निवेश अर्थव्यवस्था में किया जा सकता है. भारत के लिए सस्ता तेल बहुत महत्वपूर्ण है.
किरिट पारेख ने कहा कि हम रूस से कच्चा तेल आयात कर रहे हैं. इसका असर अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमत पर भी पड़ा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के फौरन बाद कीमतों में उथल-पुथल हुई थी, लेकिन अब स्थिरता आ रही है.
देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई के 2023-24 में जीडीपी विकास दर को 6.5 प्रतिशत रखने के अनुमान पर तेल के जाने-माने अर्थशास्त्री पारेख का कहना है कि वे आरबीआई से ज्यादा बुलिश हैं क्योंकि आज देश में सरकारी और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट बढ़ रहा है. इसीलिए उन्हें लगता है कि इस साल ग्रोथ और बेहतर होगा. अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल के सस्ता होने से भी फायदा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीने तक कच्चे तेल की कीमत में स्थिरता बनी रहेगी.