देश में OTT (Over-the-top ) प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली वेब सीरीज दिनों दिन सफलता की नई बुलंदी छूती जा रही हैं. दूसरी ओर बड़े पर्दे की ज्यादातर फिल्में कामयाबी के लिए तरसती दिखाई दे रही हैं. इस साल भी यही ट्रेंड बरकरार है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प है कि आखिर वेब सीरीज की बढ़ती लोकप्रियता का राज क्या है? साथ ही परंपरागत सिनेमा को इस दौर में एड़ी-चोटी का जोर क्यों लगाना पड़ रहा है?
हाल ही में IMDb ने टॉप 50 इंडियन वेब सीरीज की लिस्ट जारी की है. पॉपुलैरिटी के आधार पर इन बेव सीरीज की रैंकिंग की गई है. टॉप 5 में जगह बनाने वाली वेब सीरीज हैं- 'सेक्रेड गेम्स', 'मिर्जापुर', 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी', 'द फैमिली मैन' और 'एस्पिरेंट्स'. इस लिस्ट में Netflix, Prime Video, Disney+ Hotstar, JioCinema जैसे कई प्लेटफॉर्म की वेब सीरीज को शामिल किया गया.
'ऑल टाइम पॉपुलर' वेब सीरीज की लिस्ट आते ही लोगों को जैसे नया मसाला मिल गया. क्या-क्या देखा, क्या-क्या अब भी छूट गया? इसी बहाने वेब सीरीज की बढ़ती लोकप्रियता और OTT प्लेटफॉर्म की अहमियत पर बात होने लगी. इसी बीच, बड़े पर्दे के सिनेमा के हाल को बयां करती रिपोर्ट भी सामने आई, जो चिंता पैदा करती है. अगर इक्का-दुक्का फिल्मों की बात छोड़ दें, तो इस साल ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर पानी मांगती नजर आईं.
हाल के कुछ बरस में भारत के OTT बाजार में तेज बढ़ोतरी देखी गई है. खासकर महामारी और उसके बाद के दौर में मनोरंजन को लेकर दर्शकों की रुचि में काफी बदलाव आया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, आज देशभर में 12 करोड़ एक्टिव पेड OTT सब्सक्रिप्शन के साथ 42 करोड़ से ज्यादा दर्शक हैं. Eros Now-KPMG की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में OTT प्लेटफॉर्म के दर्शक एक दिन में औसतन करीब 70 मिनट वीडियो स्ट्रीमिंग में बिताते हैं. साथ ही एक सप्ताह में इनकी फ्रीक्वेंसी होती है 12.5 बार. ये सारे आंकड़े वेब सीरीज के फूलने-फलने और तेजी से फैलने के लिहाज से एकदम मुफीद हैं.
साल 2023 बड़े पर्दे की फिल्मों के लिए अब तक कोई बड़ी उम्मीद नहीं जगा सका है. 'पठान' और 'द केरल स्टोरी' को छोड़कर कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कामयाब नहीं हो सकी. ‘पठान’ इस साल की अब तक की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म रही है. 'द केरल स्टोरी' सुर्खियों में भी खूब रही. लेकिन बॉक्स ऑफिस पर औसत से नीचे या बुरी तरह पिटने वाली फिल्मों की तादाद कहीं ज्यादा है.
अगर बड़े स्टार की बात करें, तो अजय देवगन की फिल्म 'भोला' मुश्किल से लागत निकाल पाई. लीड रोल के साथ अजय देवगन ने इसमें निर्देशन की कमान भी संभाली थी. सलमान खान की फिल्म 'किसी का भाई, किसी की जान' का हाल देखिए. इस फिल्म को न तो दर्शकों ने पसंद किया, न ही क्रिटिक्स ने. यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई. अक्षय कुमार की ‘सेल्फी’ भी दर्शकों को थिएटर तक लाने में नाकाम रही.
रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ ने थोड़ी उम्मीद जगाई. कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की फिल्म ‘शहजादा’ बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी. ‘मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे’ से रानी मुखर्जी ने लंबे अरसे बाद वापसी की, लेकिन यह फिल्म भी कुछ खास नहीं कर सकी. सामंथा रूथ प्रभु की फिल्म ‘शाकुंतलम्’ सिनेमाघरों में पिट गई. हालांकि यह कांस फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट इंडियन फिल्म का अवॉर्ड जीतने में कामयाब रही.
बड़े पर्दे पर फिल्मों का बुरा हाल देखने के बाद बड़े बजट की कई फिल्में फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दी गई हैं. फिल्म के प्रोड्यूसर मार्केट की हवा और दर्शकों के बदलते मिजाज को भांपने के लिए ज्यादा वक्त लेना चाह रहे हैं, जिससे जोखिम कम से कम रहे. हालांकि OTT प्लेटफॉर्म की वेब सीरीज की आंधी में परंपरागत सिनेमा के लिए मुश्किल खड़ी होना तय है.
देखा जाए, तो ऐसे कई फैक्टर हैं, जिस वजह से लोग बड़े पर्दे की फिल्मों की जगह वेब सीरीज को तरजीह दे रहे हैं. सस्ते स्मार्टफोन और इंटरनेट की उपलब्धता की वजह से OTT प्लेटफॉर्म तक लोगों की पहुंच बढ़ती जा रही है. फिल्मों के भारी-भरकम बजट के मुकाबले वेब सीरीज की लागत अमूमन कम होती है, इस वजह से यहां एक्सपेरिमेंट की गुंजाइश ज्यादा रहती है. वेब सीरीज की बाढ़ के दौर में लोगों को हमेशा ताजातरीन कंटेंट मिलता रहता है. मनोरंजन ऐसा, जो जेब को भी पसंद आए. वह भी मनचाहे वक्त पर. खास बात ये कि अब बड़े पर्दे के कई नामचीन एक्टर वेब सीरीज में जलवे दिखलाकर सबका दिल जीत रहे हैं. ऐसे में वेब सीरीज का ग्राफ ऊपर चढ़ना लाजिमी ही है.
दूसरी ओर, बड़े पर्दे के सिनेमा को अपना आकर्षण बरकरार रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. वेब सीरीज ने दर्शकों के मन-मिजाज को बदलकर रख दिया है. मल्टीप्लेक्स के महंगे टिकटों ने एक बड़े वर्ग को सिनेमा से दूर कर दिया है. साथ ही अब वह दौर भी नहीं रहा, जब केवल किसी के स्टारडम की बदौलत कोई फिल्म चल जाया करती थी. अब लोगों को एकदम कसी हुई स्क्रिप्ट चाहिए, वह भी नयापन के साथ. कमजोर फिल्मों का अब क्या हाल होता है, यह हम ताजा उदाहरणों से समझ सकते हैं.
कुल मिलाकर, वेब सीरीज में रमते जा रहे दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाना आज एक बड़ी चुनौती है. इस चैलेंज को फिल्म इंडस्ट्री कैसे स्वीकार करती है, इस पर सबकी नजर रहेगी.