एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में कारोबारियों की हड़ताल से किसानों की कमर टूट गई है. पैदावार सड़ रही है, कीमत मिल नहीं रही. ऐसे में वे प्याज बेचने के बजाए फेंकने को मजबूर हैं क्योंकि बिक्री से लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.
नासिक के सायखेड़ा में सुधाकर दराडे ने प्याज मंडी में नहीं बेची, उसे खेतों में फेंक दिया. मंडी में उन्हें एक क्विंटल पर 5 रुपये का लाभ मिल रहा था, लिहाजा उन्होंने इसे बेचने के बजाए, खेतों में फेंकना मुनासिब समझा. सुधाकर दराडे ने कहा ''इतनी कम कीमत से लागत भी नहीं निकलेगी. हमें बहुत नुकसान हो रहा था, इसलिए मैंने इसे बेचने की जगह खेत में डाल दिया है. खेत में प्याज डालने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी."
नासिक की मंडियों में प्याज नीलामी के जरिए बेचा जाता है. फिलहाल यहां प्याज की कीमत 4 रुपये प्रति किलो है. लेकिन हड़ताल की वजह से प्याज स्टोर करके रखने से वह सड़ने लगी है. ऐसे में प्याज के खरीदार उसका कौड़ियों का मोल लगा रहे हैं. किसानों का कहना है कि एक क्विंटल प्याज उगाने की लागत 650-700 रुपये है, लेकिन बाजार में कीमत 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई है. कारोबारी कह रहे हैं सरकार ने उपाय नहीं किया तो हालात और खराब हो सकते हैं. एपीएमसी के अध्यक्ष जयदत्त होलकर ने कहा कि अगर सरकार ने दो-तीन दिनों में कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो किसान और परेशान हो सकते हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने कुछ दिनों पहले नए नियमों के तहत किसानों को उत्पाद सीधे बाजार में बेचने की छूट दे दी है, जिसके खिलाफ लासलगांव में कारोबारियों ने महीने भर से ज्यादा हड़ताल रखी. अब किसान चाहते हैं कि सरकार प्याज का समर्थन मूल्य बढ़ाए. देश में प्याज के उत्पादन में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 40 फीसदी है. ऐसे में किसानों की बदहाली बहुत भारी पड़ सकती है.