दुनियाभर की अधिकतर बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों का संचालन मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) या चीफ एग्ज्यूक्टिव (CEO) और एक चेयरमैन (Chairman) द्वारा किया जाता है. इनके ऊपर निदेशक मंडल (Board Of Directors) होते हैं, जिनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी निवेशकों के हितों की रक्षा करने की होती है. हालांकि, भारत की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Indian Oil Corporation Limited) में ऐसा कभी नहीं हुआ, क्योंकि कंपनी में कभी कोई एमडी या सीईओ नहीं रहा है.
सरकारी तेल कंपनी आईओसीएल (IOCL) का नेतृत्व हमेशा चेयरमैन के पास रहता है, जो मैनेजिंग डायरेक्टर या सीईओ की भूमिका भी निभाते हैं. हालांकि, सूत्रों ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय (Petroleum Ministry) जल्द ही कंपनी की इस व्यवस्था में बदलाव कर सकता है. कंपनी की ओर से भी कंपनी लंबे समय से इस बदलाव की मांग हो रही है. ताकि दूसरे बड़े सार्वजनिक और निजी उद्यमों के जैसे व्यवस्था बनाई जा सके. सूत्रों ने कहा कि इस मांग को पेट्रोलियम मंत्रालय ने मान लिया है और अब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA) की सहमति का इंतजार है.
फिलहाल कंपनी में एक चेयरमैन - श्रीकांत माधव वैद्य के अलावा फाइनेंस, मार्केटिंग, ह्यूमन रिसोर्स, पाइपलाइन, रिफाइनिंग के साथ ही बिजनेस डेवलपमेंट और रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए सात कार्यकारी निदेशक हैं. सूत्रों ने कहा है कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) निदेशक के पद को खत्म करने की संभावना है, क्योंकि केवल 400 व्यक्तियों वाले विभाग के लिए निदेशक रखने का कोई व्यावसायिक औचित्य नहीं है.
सरकार ने हाल में अरुण कुमार सिंह को ऑयल एंड नैचुरल गैस निगम (ONGC) के चेयरमैन के रूप में नियुक्त किया, लेकिन उन्हें एमडी नहीं बनाया गया है. जिसके बाद उम्मीद है कि कंपनी के लिए सरकार एक अलग सीईओ या एमडी की नियुक्ति कर सकती है.