भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि पायलट आधार पर जारी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) में और बैंकों तथा स्थानों को शामिल करने के लिये धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जा रहा है. थोक स्तर पर उपयोग के लिये पायलट आधारित डिजिटल रुपये की शुरुआत 1 नवंबर, 2022 को हुई थी. उसके बाद खुदरा खंड में डिजिटल रुपये के उपयोग की घोषणा एक दिसंबर, 2022 को की गई.
पायलट परियोजना की शुरुआत मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में की गई. उपयोग को लेकर इसमें सीमित दायरे में ग्राहकों और व्यापारियों को शामिल किया गया. चरणबद्ध तरीके से पायलट परियोजना में अहमदाबाद, चंडीगढ़, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला को भी शामिल किया जा रहा है.
पायलट परियोजना चार बैंकों... भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक - के साथ शुरू हुई. जबकि चार अन्य बैंक... बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में शामिल हुए.
केंद्रीय बैंक ने 2022-23 की रिपोर्ट में कहा, ‘‘पांच और बैंक... पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, फेडरल बैंक, एक्सिस बैंक और इंडसइंड बैंक पायलट परियोजना में शामिल होने की प्रक्रिया में हैं. जरूरत के अनुसार और बैंकों, उपयोगकर्ताओं और स्थानों को शामिल करने के लिये इसका दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है.''
रिपोर्ट के अनुसार, थोक और खुदरा डिजिटल रुपये के मामले में अबतक चीजें संतोषजनक हैं और जो उम्मीद की जा रही थी, उसी के अनुरूप हैं.
डिजिटल रुपये थोक खंड के संदर्भ में इसमें कहा गया है कि इसके तहत सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान शामिल किया गया है. डिजिटल रुपये-थोक खंड के उपयोग से बैंकों के बीच लेन-देन को और अधिक कुशल बनने की उम्मीद है. इस व्यवस्था से निपटान लागत में कमी आने की उम्मीद है.
फिलहाल 9 बैंक... भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी... पायलट में भाग ले रहे हैं.