देश में काफी समय से इलेक्ट्रिक कारों की मांग की जा रही है. मांग के साथ इस बात का भी ध्यान रखने को कहा जा रहा है कि कम कीमत में ऐसी कारें तैयार हों. इसके पीछे एक कारण है कि प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया है कि विभिन्न वाहन विनिर्माताओं द्वारा देश में जल्द ही इलेक्ट्रिक कारों के 22 मॉडल जल्द उपलब्ध होंगे. टाटा और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियां इस दिशा में काफी तेजी से काम कर रही हैं.
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर तथा न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को यह जानकारी तब दी गई जब उन्होंने प्रदूषण से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुये वाहन विनिर्माताओं से पूछा, ‘‘आप इलेक्ट्रिक कारों के बारे में क्या कर रहे हैं?’’ पीठ ने पूछा, ‘‘वे कहते हैं कि वाहन प्रदर्शनियों में सभी प्रकार की इलेक्ट्रिक कारें प्रदर्शित की जा रही हैं.’’ इस पर एक अधिवक्ता ने कहा कि ‘‘इसमें लागत एक मुद्दा है.’’
एक अन्य अधिवक्ता ने कहा कि टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियां काफी प्रयास कर रही हैं. दिल्ली में सरकारी विभागों में पहले ही कई इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जा रहा है. अधिवक्ता ने बताया कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से आगे आ रहे हैं. विभिन्न विनिर्माताओं के इलेक्ट्रिक वाहनों के 22 मॉडल जल्द बाजार में उपलब्ध होंगे.
पीठ ने मामले की आगे सुनवाई के लिये 13 जुलाई का दिन तय करते हुये अधिवक्ता से कहा, ‘‘अपने मुवक्किल (विनिर्माताओं) से कहिये की वह इलेक्ट्रिक कारों में काम करें.’’ इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने डीजल पर सब्सिडी तथा देश में आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों पर 150 प्रतिशत आयात शुल्क को लेकर सवाल उठाया था.
न्यायालय दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण के मुद्दे को उठाने वाली 1985 में पर्यावरणविद एम सी मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका के मामले में दायर एक अर्जी की सुनवाई कर रहा है.