भारत का DefTech दुनिया में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है. डिफेंस स्टार्टअप और प्रमुख प्लेयर्स समान रूप से डिफेंस सेक्टर और एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग में एडवांस टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट कर रहे हैं.
भारत की IT कंपनियां धीरे-धीरे इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए भारत में वैश्विक OEMs की बढ़ती उपस्थिति को पहचान रही हैं. ये कंपनियां स्किल पूल हब के पास बड़े परिसर बना रही हैं. पिछले पांच वर्षों में भारत के भीतर एयरोस्पेस और डिफेंस के लिए डेवलपमेंट एंड टेस्टिंग के काम में अच्छी ग्रोथ हुई है.
भारतीय लिस्टेड IT कंपनियां, जो पहले इस सेक्टर में एंट्री नहीं करना चाहती थीं. अब स्किल, रेवेन्यू और हाई मार्जिन के अवसर को भुनाने के लिए ऑपरेशन्स बढ़ा रही हैं. एयरो इंडिया के 15वें एडिशन के दौरान कई बदलाव देखे गए हैं. आज, भारत वैश्विक स्तर पर e-R&D स्किल्ड कर्मचारियों के सबसे बड़े घरेलू पूल में से एक है, जो वैश्विक OEMs को भारत में अपना ऑपरेशन्स स्थानांतरित करने के लिए आकर्षित करता है.
वित्त वर्ष 24 में भारत का डिफेंस प्रोडक्ट एक्सपोर्ट 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 26 तक 31,000 करोड़ रुपये है. इस आंकड़े में भारत स्थित डेवलपमेंट सेंटर्स द्वारा वैश्विक OEMs को प्रदान की जाने वाली सर्विस शामिल नहीं हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से सर्विस एक्सपोर्ट में योगदान करती हैं.
भारत की डिफेंस और एयरोस्पेस इंडस्ट्री अब स्वदेशी इंजनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इंजन डेवलप करने के लिए कंपनियां, विशेष रूप से निजी क्षेत्र में DRDO के साथ साझेदारी कर रही हैं. 'बिल्ड टू प्रिंट' से 'बिल्ड टू स्पेक' की ओर बदलाव एक प्रमुख प्रवृत्ति है, जो विमान और ड्रोन के लिए इंजन क्षेत्र में टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रही है. भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियां लिक्विड और सॉलिड प्रोपेलेंट इंजनों का परीक्षण कर रही हैं, डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग और टेस्टिंग के लिए विशेष मैटेरियल्स तक पहुंच का लाभ उठा रही हैं.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स का प्रकरण सप्लाई चेन मैनेजमेंट की आवश्यकता को उजागर करता है. LCA तेजस Mk-1A प्रोडक्शन के लिए इंजन सप्लाई में देरी एक मजबूत सप्लाई चेन की कमी का उदाहरण है. HAL भारत में सह-निर्मित भविष्य के इंजनों और तेजस विमान के लिए सप्लाई चेन बना रहा है. इसने तेजस के एयरोस्पेस स्ट्रक्चर के निर्माण के लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, L&T और VEM को शामिल किया है, जिसका लक्ष्य अगले साल तक तेजस की डिलीवरी को 20-24 यूनिट तक पहुंचाना है, जिसमें इस कैलेंडर वर्ष में 12 विमान डिलीवर किए जाने हैं.
DRDO प्रोजेक्ट्स में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है. PSU बैंडविड्थ सीमाओं के कारण पहले रुके हुए प्रोजेक्ट्स अब निजी क्षेत्र की सहायता से आगे बढ़ रहे हैं. निजी कंपनियां DRDO के साथ प्रूफ ऑफ कांसेप्ट, टेस्टिंग और कमर्शियल प्रोडक्शन पर सहयोग कर रही हैं. प्रोडक्ट्स को तेजी से पेश करने के लिए आधुनिक तकनीकी प्रक्रियाओं का उपयोग कर रही हैं, जो समकालीन सॉफ्टवेयर और AI के साथ एम्बेडेड हैं.
ड्रोन टेक्नोलॉजी में उन्नति हुई है. भारतीय स्टार्टअप ड्रोन सर्विलांस और काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी के लिए सॉल्यूशंस विकसित कर रहे हैं. सरकार के iDEX कार्यक्रम से प्रेरित होकर भारतीय प्लेयर्स प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए काउंटर-ड्रोन टेक्नोलॉजी बना रहे हैं. ड्रोन प्रोडक्शन के लिए स्वदेशी डिजाइन और परीक्षण के माध्यम से भारत के भीतर सभी कंपोनेंट्स के मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
हाल के वर्षों में समुद्री सर्विलांस एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है. भारत इस वर्ष समुद्री सर्विलांस लिए स्वायत्त मानव रहित नौकाओं को शामिल करेगा, जिन्हें iDEX कार्यक्रम के माध्यम से डिजाइन और निर्मित किया जाएगा. इसके अलावा, iDEX हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के माध्यम से वैश्विक पोत मूवमेंट्स की निगरानी के लिए स्टार्ट-अप के साथ सहयोग कर रहा है. भारतीय डिफेंस कंपनियां हार्डवेयर से परे अवसरों को बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाते हुए DefTech कंपनियों में परिवर्तित हो रही हैं.