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विरासत की लड़ाई में कोर्ट पहुंचे बाबा कल्याणी के भतीजा-भतीजी

समीर और पल्लवी ने परिवार की कुल संपत्ति की जानकारी चाही. लेकिन उनके मुताबिक सहयोग नहीं मिला जिसके कारण कानूनी सहारा लेना पड़ा है. समीर और पल्लवी बाबा कल्याणी की बहन सुगंधा हीरेमथ के बच्चे हैं. 
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी05:19 PM IST, 27 Mar 2024NDTV Profit हिंदी
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समीर हीरेमथ (Sameer Hiremath) और पल्लवी स्वादि (Pallavi Swadi) अपने चाचा और भारत फोर्ज (Bharat Forge) के अध्यक्ष बाबा कल्याणी (Baba Kalyani) के खिलाफ पुणे कोर्ट पहुंच गए हैं. ये लड़ाई पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को लेकर है. समीर और पल्लवी फोर्जिंग इंडस्ट्री के पायनियर नीलकंठ कल्याणी (Neelkanth Kalyani) के पोते-पोती हैं.

किस बात की है मांग

समीर और पल्लवी बाबा कल्याणी की बहन सुगंधा हीरेमथ के बच्चे हैं. उनके मुताबिक, उन्होंने परिवार की कुल संपत्ति की जानकारी चाही. लेकिन सहयोग नहीं मिला, जिसके कारण कानूनी सहारा लेना पड़ा है.

अब अदालत से चल और अचल संपत्तियों, शेयरों और निवेश सहित सभी संपत्तियों के बारे में पूरी जानकारी की मांग कर रहे हैं. 

साथ ही याचिकाकर्ताओं को चिंता है कि इस लड़ाई के बीच संपत्ति में कुछ हेरफेर की जा सकती है इसलिए कोर्ट से मांग की है कि, जब तक मामला सुलझ न जाए तब तक संपत्ति में कुछ भी बदलाव होने पर भी रोक लगाई जाए.

साथ ही चूंकि मामला कई तरह की संपत्ति का है इसलिए, अदालत को सुझाव दिया है कि अदालत किसी को सभी संपत्तियों की देखरेख के लिए नियुक्त कर दे, जिससे यथास्थिति बरकरार रहे.

कब शुरू हुआ विवाद

समीर और पल्लवी के परदादा रावसाहेब अन्नप्पा एन. कल्याणी एक बिजनेसमैन और किसान थे. रावसाहेब कल्याणी अपने संयुक्त परिवार के मुखिया होने के नाते सभी बिजनेस और सभी संपत्तियों की देखरेख करते थे.

रावसाहेब कल्याणी की दो पत्नियां थी. पहली पत्नी पार्वती अन्नप्पा कल्याणी और दूसरी पत्नी आकुताई अन्नप्पा कल्याणी. रावसाहेब की मृत्यु के बाद नीलकंठ ने परिवार के मुखिया का पद संभाला और घर सभी संपत्तियों समेत सभी बिजनेस की देखरेख की, परिवार तब भी संयुक्त परिवार ही था.

कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक,

नीलकंठ ने पारिवारिक फंड का इस्तेमाल करके कुछ नए बिजनेस शुरू किया और 1974 से 1979 के बीच बिजनेस में पार्शियल पार्टीशन भी किया. 2011 में नीलकंठ के खराब स्वास्थ्य की वजह से बाबा कल्याणी को परिवार के मुखिया का कार्यभार सौंपा गया. बाबा कल्याणी के मैनेजमेंट के कारण परिवार में विवाद पैदा हुआ. जिसके बाद मुकदमेबाजी शुरू हो गई.

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