सब्सिडी व्यवस्था में पूरी तरह बदलाव का आह्वान करने वाले केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि नकद सब्सिडी भुगतान उर्वरकों पर सब्सिडी देने का सही तरीका है और ईंधन की कीमतें बाजार पर आधारित होनी चाहिए।
जेटली द्वारा 2013-14 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने के बाद वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "उर्वरक सब्सिडी जैसे मामलों में खर्च या व्यय एक विकृत संसाधन आवंटन को जन्म देता है, जिससे उत्पादकता बाधित होती है।"
उन्होंने कहा, "इसके अलावा, सब्सिडी स्कीमों में लगाया गया पूरा पैसा गरीबों तक नहीं पहुंचता।"
वर्ष 2014-15 के लिए अनुमानित 140,000 करोड़ रुपये की ईंधन सब्सिडी के साथ सब्सिडी में कटौती नई राजग सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है।
वर्ष 2013-14 के लिए उर्वरक सब्सिडी के कारण सरकार ने 65,971.50 करोड़ रुपये का एक बजटीय प्रावधान तैयार किया था, जबकि भारतीय उर्वरक एसोसिएशन ने चालू वित्त वर्ष के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी की जरूरत बताई थी।
राजकोषीय समेकन योजना पर विजय केलकर समिति ने सुझाव दिया था कि सरकार को 2014-15 के लिए राजकोषीय घाटे को 3.9 फीसदी तक सीमित करना चाहिए।