फ्लेवर्ड नूडल्स, इंस्टैंट सूप, सीक्रेट चटनी, कुकिंग पेस्ट, मसाले और भी काफी कुछ. 'देसी चाइनीज' के तमगे वाली कंपनी 'चिंग्स' के पास और भी काफी कुछ खास है.
स्वाद से लेकर कंज्यूमर बेस और लोकप्रियता से लेकर बाजार में हिस्सेदारी तक, चिंग्स (Ching's) ने खुद को एक ब्रैंड के रूप में स्थापित कर लिया है. तभी तो पहले नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने इसे अपना बनाने के लिए जोर लगाया और अब टाटा ने.
चिंग्स सीक्रेट और स्मिथ एंड जोन्स की पेरेंट कंपनी 'कैपिटल फूड्स' (Capital Foods Pvt Ltd.) को खरीदने की रेस में टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (Tata Consumer Product) आगे निकल गई है. चर्चा है कि काफी लंबी बातचीत के बाद ये डील होने जा रही है.
साल 1995 में कैपिटल फूड्स की शुरुआत हुई. कैपिटल फूड्स के पास वापी, नासिक और गांधीधाम में खुद का और सह-निर्माताओं के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स हैं.
फिलहाल फाउंडर अजय गुप्ता के अलावा कंपनी के अन्य प्रमुख शेयरहोल्डर्स में एक यूरोपीय फैमिली ऑफिस और इन्वेस्टमेंट ब्रांच इनवस ग्रुप है, जिसके पास सबसे ज्यादा 39.94% हिस्सेदारी है. तीसरा प्रमुख शेयरहोल्डर अमेरिकी प्राइवेट इक्विटी ग्रुप जनरल अटलांटिक है, जिसके पास 35.43% हिस्सेदारी है. फाउंडर प्रेसिडेंट अजय गुप्ता के नाम 2.55% और वाइल्डफ्लावर फैमिली ट्रस्ट के नाम 22.08% हिस्सेदारी है.
फ्यूचर ग्रुप के CEO किशोर बियानी इस फर्म के पहले बाहरी निवेशक भी रहे थे, जिन्होंने 13 करोड़ रुपये में इस कंपनी की 33% हिस्सेदारी खरीदी थी, हालांकि 2013 में इससे बाहर भी हो गए थे.
फाउंडर अजय गुप्ता ने देसी चाइनीज सेगमेंट और इटैलियन फूड्स सेगमेंट के साथ कैपिटल फूड्स की शुरुआत की थी. कुछ ही समय में कंपनी मार्केट में पैठ बना ली. इसके प्राेडक्ट्स भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में पसंद किए जाते हैं.
चिंग्स सीक्रेट शेजवान चटनी, इंस्टैंट सूप, चाइनीज मसाला, चाइनीज सॉस, हक्का नूडल्स, फ्लेवर्ड नूडल्स और स्मिथ एंड जोन्स केचप, पास्ता, पनीर मसाला जैसे प्रोडक्ट्स की बदौलत चिंग्स, भारतीय उपभोक्ताओं के बीच अपनी पकड़ बनाए हुए है.
पिछले कुछ वर्षों में कैपिटल फूड्स ने 'देसी' फ्लेवर्स के साथ कई उत्पाद लॉन्च किए हैं. इनमें चिंग्स सीक्रेट इंस्टेंट नूडल्स, सूप, मसाले, करी पेस्ट्स और फ्रोजन एंट्रीज के साथ-साथ स्मिथ एंड जोन्स रेंज का अदरक-लहसुन पेस्ट, सॉस और बेक्ड बीन्स शामिल हैं.
कभी नेस्ले, चिंग्स को हासिल करने की दौड़ में शामिल थी, जो इंस्टैंट नूडल्स कैटगरी में नंबर वन है. भारतीय बाजार में 11,600 करोड़ रुपये के इस सेगमेंट में अकेले नेस्ले की हिस्सेदारी करीब 60% है. सनफीस्ट के यिप्पी (Yippee) का मार्केट शेयर 22%, हिंदुस्तान यूनिलीवर के नॉर (Knorr) का 2%, जबकि चिंग्स सीक्रेट्स का 1.9% बताया जाता है.
इस कैटेगरी के दूसरे प्लेयर्स में टॉप रेमन, वाई वाई और पतंजलि वगैरह शामिल हैं. Sharekhan के अनुसार, 2035 तक इंस्टैंड नूडल्स का बाजार 4 गुना बढ़ने की संभावना है.
कहा जा रहा है कि संभावित अधिग्रहण टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (TCPL) को मैगी के टक्कर में ला खड़ा कर सकता है. टाटा ने इस सेगमेंट पर फोकस किया तो इंस्टैंड नूडल्स मार्केट में नेस्ले के मैगी (Maggi) को कड़ी टक्कर मिलेगी.
भारतीय बाजार में खाना पकाने के मसालों और खासकर पेस्ट का सेगमेंट काफी हद तक असंगठित है. मार्केट एक्सपर्ट्स इस सेक्टर में असीम संभावनाएं देखते हैं. कैपिटल फूड्स ब्रैंडेड सेगमेंट में मदर्स रेसिपी, डाबर और ITC जैसी कंपनियों को टक्कर देता है. मार्केट एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जिस तेजी से भारतीय किचन में पेस्ट मसाले पॉपुलर हो रहे हैं, चिंग्स इस सेगमेंट 'कमाल' करने की संंभावना रखता है.
कंपनी का मौजूदा राजस्व रन रेट 1,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2023 के लिए कैपिटल फूड्स को करीब 837 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें एबिटा 118.59 करोड़ रुपये और एबिटा मार्जिन 14.17% है.
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार, कैपिटल फूड्स का ऑथराइज्ड कैपिटल 40.7 करोड़ रुपये और पेड-अप कैपिटल 3.5 करोड़ रुपये है.
रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के अनुसार, 31 मार्च 2022 तक, कंपनी ने 580 करोड़ रुपये की आय दर्ज की थी, जो एक साल पहले की तुलना में 14% कम है. वित्त वर्ष 2021 में 68.7 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट के मुकाबले वित्त वर्ष 2022 में ये 7.4 करोड़ रुपये के घाटे में आ गया. कारण कि कोविड महामारी के चलते होटल और रेस्तरां बंद थे और इसका व्यवसाय प्रभावित हुआ.
नवंबर, 2022 में पहली बार कंपनी को बेचे जाने की खबर आई थी. नेस्ले इंडिया, द क्राफ्ट हेंज, टाटा ग्रुप समेत कई कंपनियों ने इस मौके को हाथों-हाथ लिया. इसी साल अप्रैल में जब नेस्ले, इस दौड़ में आगे थी. खबर आई कि नेस्ले इंडिया, कैपिटल फूड्स को खरीदने जा रही है.
हालांकि तब ये स्पष्ट नहीं था कि नेस्ले इंडिया के माध्यम से कंपनी का अधिग्रहण करेगी या कैपिटल फूड्स के ब्रैंड्स का इस्तेमाल करने के लिए नेस्ले इंडिया से रॉयल्टी वसूलने का विकल्प चुनेगी. (नेस्ले इंडिया वर्तमान में अपनी मूल कंपनी (Nestle) को रॉयल्टी के तौर पर अपनी नेट सेल का 4.5% भुगतान करती है.) हालांकि नेस्ले के साथ भी बात नहीं बन पाई और आखिरकार टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स रेस में आगे निकल गई.
चर्चा है कि टाटा ग्रुप की कंपनी TCPL पहले निवेशकों से कंपनी का 65-70% हिस्सा खरीदेगी. इसके कुछ समय बाद कंपनी बाकी का हिस्सा भी खरीदेगी. इस सौदे में कैपिटल फूड्स की वैल्यूएशन 5,500 करोड़ रुपये के करीब लगाई गई है.
(Inputs from Bloomberg, PTI, Ministry of Corporate Affairs, Exchange Filing, chingssecret.com, Capital Foods Company Website, BQ Research etc.)