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Coal India को चालू वित्त वर्ष में 70 करोड़ टन उत्पादन लक्ष्य पार करने का भरोसाः चेयरमैन

चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2022 तक कोल इंडिया (Coal India) ने 16 फीसदी की वृद्धि के साथ करीब 47.9 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया और कोयला लदान (Coal Loading) 50.8 करोड़ टन रहा था.
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NDTV Profit हिंदी04:42 PM IST, 01 Jan 2023NDTV Profit हिंदी
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सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने भरोसा जताया है कि कंपनी मार्च 2023 तक 70 करोड़ टन उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पार कर लेगी. इसके साथ ही उन्होंने कंपनी की क्षतिपूर्ति के लिए कोयले दामों (Coal Rate) में संशोधन को बहुत जरूरी बताया है. सरकार की तरफ से कंपनी के लिए निर्धारित वार्षिक उत्पादन लक्ष्य को अगर वह 12 फीसदी से अधिक वृद्धि के साथ हासिल कर लेती है तो यह उसकी एक बड़ी उपलब्धि होगी. साल 2021-22 में कोल इंडिया का उत्पादन 62.26 करोड़ टन था.

उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग (Power Demand) को पूरा करने के लिए कंपनी अधिक कोयला उत्पादन (Coal Production) करने के साथ ही देश के शून्य-कार्बन उत्सर्जन (Zero-Carbon Emissions) लक्ष्य को हासिल करने में मदद देने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भी कई कदम उठा रही है.

कोल इंडिया (Coal India) के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल अग्रवाल ने कहा, ‘‘70 करोड़ टन का उद्देश्य अपने-आप में चुनौतीपूर्ण और महत्वाकांक्षी है. अभी तक तो हम इस लक्ष्य के आगे चल रहे हैं. दिसंबर में हमने 101 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है. हमारा उद्देश्य आगे रहना और 70 करोड़ टन उत्पादन के वार्षिक लक्ष्य को पार करना है. हमें भरोसा भी है कि हम ऐसा कर पाएंगे.'' उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही में कोल इंडिया के लिए चुनौती जनवरी-मार्च 2022 के 20.9 करोड़ टन उत्पादन से आगे बढ़ने की है.

चालू वित्त वर्ष में दिसंबर 2022 तक कोल इंडिया ने 16 फीसदी की वृद्धि के साथ करीब 47.9 करोड़ टन उत्पादन किया और कोयला लदान (Coal Loading) 50.8 करोड़ टन रहा था. प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 33 फीसदी बढ़कर 7,027 करोड़ रहा. वहीं, अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक यह 16,500 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. दो साल की अवधि में पूंजीगत व्यय दोगुना से अधिक होकर 2021-22 में 15,401 करोड़ रुपये रहा था जबकि 2019-20 में यह 6,270 करोड़ रुपये था.

उन्होंने कहा कि कोल इंडिया का पूंजीगत व्यय बढ़ने की मुख्य वजह भूमि अधिग्रहण, आधुनिक उपकरण बेड़े को अपनाने और अन्वेषण अवसंरचना का मशीनीकरण रही है.

आपको बता दें कि मुद्रास्फीति (Inflation) को काबू में करने के लिए कोयले के दाम लगभग पांच साल से स्थिर बने हुए हैं. कोयले के दाम (Coal Prices) पर कंपनी के चेयरमैन ने कहा, ‘‘कोयले के दाम करीब पांच वर्ष से स्थिर हैं, लेकिन एक वाणिज्यिक कॉरपोरेट कंपनी (Commercial Corporate Company) होने के नाते हमें पर्याप्त क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए और दामों में बदलाव करना भी बहुत आवश्यक है''.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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