डी-मार्ट के नए CEO अंशुल असावा को डी-मार्ट के ई-कॉमर्स बिजनेस को तेज करना होगा, क्योंकि अब दौर बदल रहा है. तुरंत डिलीवरी की मांग अब तेजी से बढ़ रही है, जिसे जेप्टो, स्विगी इंस्टामार्ट और जोमैटो की ब्लिंकिट जैसी कंपनियां बखूबी पूरा कर रही हैं और इससे डी मार्ट के के मार्जिन पर काफी असर पड़ रहा है. इसलिए अब कंपनी को अपनी स्ट्रैटेजी पर दोबारा विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और कंपनी डी-मार्ट रेडी के पिकअप प्वाइंट्स को बंद कर होम डिलीवरी पर फोकस कर रही है.
डी-मार्ट के निर्वतमान CEO इग्नेशियल नाविल नोरोन्हा ने एक स्टेटमेंट में कहा, 'पिक-अप प्वाइंट की तुलना में हम होम डिलीवरी की मांग में जोरदार इजाफा देख रहे हैं. कुछ शहरों में हम सिर्फ होम डिलीवरी चैनल के तौर पर ही ऑपरेट करते हैं.'
ज्यादातर FMCGs के लिए डिजिटल चैनल 10-12% की बिक्री के लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन डी-मार्ट जैसे पारंपरिक रिटेलर्स ई-कॉमर्स की ग्रोथ पर सवार होने में नाकामयाब रहे हैं. कंपनी का ई-कॉमर्स वर्टिकल डी मार्ट रेडी का विस्तार भले ही बेहद धीमा रहा हो, लेकिन FY25 के पहले हाफ में इसमें 21.5% की ग्रोथ हुई है. बीते 8 साल में ये सिर्फ 25 शहरों में पहुंचा है. इस मॉडल के तहत कस्टमर ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं और पास के प्वाइंट से इसे उठा सकते हैं. लेकिन ये 10 मिनट के डिलीवर बूम की तुलना में कमजोर साबित हुआ है. कुल मिलाकर ये वर्टिकल डी मार्ट की कुल सेल का सिर्फ 5% हिस्सेदार है.
दरअसल नोरोन्हा ने अपने 20 साल के कार्यकाल को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. असावा मार्च में CEO-डेसिग्नेट के तौर पर ज्वाइन करेंगे और फरवरी 2026 में इग्नैशियल नाविल नोरोन्हा से पूरा कार्यभार लेंगे. इस बीच नोरोन्हा अंतरिम CEO के तौर पर काम करते रहेंगे.
असावा फिलहाल थाईलैंड में यूनिलीवर के कंट्री हेड और ग्रेटर एशिया में होम केयर बिजनेस के जनरल मैनेजर हैं. IIT रुड़की और IIM लखनऊ से पढ़े असावा के पास यूनिलीवर में तीन दशक तक काम करने का अनुभव मौजूद है. इसमें 15 साल उन्होंने इंडियन सब्सिडियरी हिंदुस्तान यूनिलीवर में काम किया है. खास बात ये है कि नोरोन्हा और असावा दोनों ही डी-मार्ट के CEO बनने से पहले यूनिलीवर में काम कर चुके हैं.
कंपनी स्टेटमेंट के मुताबिक ये बदलाव तब हुआ है जब डी-मार्ट लगातार FMCG कैटेगरी में डिस्काउंटिंग में बढ़ता दबाव झेल रही है कंपनी का बिजनेस मॉडल अपने स्टोर्स के लिए रियल एस्टेट की खरीद पर बड़े पैमाने पर निर्भर है, जिससे कंपनी को किराया नहीं देना होता है. लेकिन इससे न्यू एज क्विक कॉमर्स कंपनियों की तुलना में कंपनी के विस्तार की संभावना भी काफी कम हो जाती है. गोल्डमैन सैक्स के मुताबिक भारत के 500 बिलियन डॉलर के ग्रोसरी मार्केट में सिर्फ 17% तक ही कंपनी की पहुंच है.
अपनी कम प्राइसिंग की मजबूती को बरकरार रखने के लिए कंपनी को आगे छूट की गतिविधियां बढ़ानी होंगी. यहां तक कि दिसंबर 2024 में कंपनी के FMCG प्रोडक्ट्स में MRP पर छूट 25% तक पहुंच गई. इन बदलावों के चलते मार्जिन में लगातार दबाव बढ़ा है. अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट बीते साल की तुलना में 10.2% (1,235 करोड़ रुपये) बढ़ा है, हालांकि ये प्री कोविड लेवल की तुलना में अब भी 7.9% पर है.
फूड प्रोडक्ट्स के लिए नॉन फूड प्रोडक्ट्स में बीते साल ग्राहकों द्वारा की गई कटौती से ग्रॉस मार्जिन भी 14.1% पर पहुंच गया, जो 10 बेसिस प्वाइंट की गिरावट है. दरअसल क्विक कॉमर्स कंपटीशन के बढ़ने के चलते फूड पोर्टफोलियो में प्राइसिंग बढ़ाई गई थी, जिसे संतुलित करने के लिए लोगों ने नॉन फूड प्रोडक्ट्स पर खर्च में कटौती की थी.
नुवामा के मुताबिक, 'डी मार्ट का रेवेन्यू/स्क्वायर फीट बीते साल 3% बढ़कर 39,035 रुपये पर पहुंच गया था. लेकिन ये प्री कोविड की तुलना में अब भी 2% नीचे है. Q3FY19 में ये 41,930 रुपये पर था.