अमेरिका ने जिस तरह पूरी दुनिया को ट्रेड वॉर की ओर धकेला है, उसका बड़ा असर होगा. हालांकि चीन और अमेरिका (US China) के बीच सहमति बनी है, तो क्या ये ट्रेड वॉर (Trade War) को थाम सकता है, इस पर कैपिटलमाइंड के दीपक शेनॉय (Deepak Shenoy) का कहना है कि ये तो ट्रेड वॉर की शुरुआत है, आगे मुश्किलें और भी हैं.
कैपिटल माइंड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर दीपक शेनॉय ने NDTV Profit से कहा कि ट्रेड वॉर एक गहरे आर्थिक संघर्ष की शुरुआत भर है, आगे चलकर इससे और ज्यादा रुकावटें पैदा होने की आशंका है.
उन्होंने कहा, 'अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा सर्विस एक्सपोर्टर है. सर्विसेज पर कोई टैरिफ नहीं है. वास्तव में वो उन पर टैरिफ लगाने से बचते हैं क्योंकि वो नहीं चाहते कि दुनिया के बाकी देश भी ऐसा ही करने लगें'
शेनॉय ने आगे कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है कि अमेरिका को ही झुकना पड़ा है. चीन को तकलीफ हो रही है, लेकिन वो अमेरिका से कहीं ज्यादा तकलीफ झेल सकता है'
कैपिटल माइंड के CEO ने कहा, 'एक निरंकुश अर्थव्यवस्था होने के कारण चीन सरकार की इच्छा से ज्यादा प्रभाव को बढ़ने नहीं देगा.' इसके विपरीत शेनॉय के मुताबिक, 'अमेरिका की अर्थव्यवस्था तुलना में फ्री इकोनॉमी है और वो अपने संघर्षों के बारे में खुला है. इसका असर राजनीति पर भी पड़ता है. मुझे नहीं लगता कि ये जीत थी.'
उन्होंने कहा कि चीन के आयात शुल्क काफी हद तक अप्रभावी थे. चीन अमेरिका से बहुत ज्यादा आयात नहीं करता है. उसके पास वैकल्पिक स्रोत हैं, भले ही उसे आयात करने की जरूरत हो. इसलिए ये टैरिफ प्रभावी होने के बजाय प्रतीकात्मक ज्यादा थे.
ऐतिहासिक व्यापार असंतुलन का जिक्र करते हुए शेनॉय ने कहा, '1960 के दशक में भारत में अकाल के दौरान अमेरिका ने हमारे लिए गेहूं के निर्यात पर शर्तें रखीं. आज अमेरिका के साथ हमारा व्यापार ज्यादातर सेवाओं में है. मर्चेंडाइज के मामले में हम अपेक्षाकृत छोटे खिलाड़ी हैं.'
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार करने की टिप्पणी पर अपनी बात रखते हुए शेनॉय ने कहा, 'ईमानदारी से ये एक असमान खेल है. व्यापार के मामले में भारत और पाकिस्तान को एक साथ रखना बहुत गलत है.'